Ghodi and Baggi

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    वर्धा. बढ़ते कोरोना संक्रमण के मद्देनजर सरकार ने विवाह में बारात निकालने पर पाबंदी लगाने का निर्णय लिया है. इन दिनों विवाह समारोह सीमित लोगों की उपस्थिति में घरों में ही हो रहे है़ं लगातार दूसरे साल भी व्यवसाय ठप होने से घोड़ी एवं बग्गी व्यवसायियों की आर्थिक स्थिति खराब होने से वे संकट में आ गए है़ जैसे-तैसे घोड़ों के पालनपोषण का अतिरिक्त खर्च झेल रहे व्यवसायियों के सामने स्वयं के उदरनिर्वाह का गंभीर प्रश्न निर्माण हो गया है़ सरकार ने जिस तरह कामगार, फेरीवाले, आटोरिकक्शा चालकों को आर्थिक मदद दी है़ उसी प्रकार मदद प्रदान करते हुए राहत देने की मांग व्यवसायियों ने सरकार से की है़ शादी समारोह में घोड़ी, बग्गी का अलग ही महत्व है़ घोड़ी पर सवार दूल्हे की बारात निकालना सदियों से चली आ रही परंपरा आज भी कायम है.

    इस बार मौसम में नहीं हो पाया व्यवसाय 

    सामान्यत: अप्रैल और मई महीना यह शादियों का मौसम माना जाता है़  इस दौरान घोड़ी एवं बग्गी की मांग काफी रहती थी़  साथ ही विभिन्न सामाजिक एवं धार्मिक रैलियों में भी घोड़े व बग्गी का महत्व होने से लगातार बुकिंग रहती थी़  वहीं कोरोना महामारी के चलते लगातार दूसरे साल भी शादी समारोह की बारात और विभिन्न सार्वजनिक कार्यक्रमों पर पाबंदी लगाई गई है़  परिणामवश घोड़े एवं बग्गी व्यवसायी इन दिनों संकट में है.

    घोड़े की खुराक पर प्रतिमाह 15,000 का खर्च

    एक ओर व्यवसाय पूरी तरह से ठप हो गया है़  ऐसे में एक घोड़े की दवा एवं खुराक पर व्यवसायियों को 400 से 500 रुपए प्रतिदिन खर्च आ रहा है़  शहर में ऐसे अनेक व्यवसायी है़  किसी के पास 3 तथा किसी के पास 5 घोड़े है़  इन दिनों घोड़ों के पालनपोषण का गंभीर प्रश्न उनके सामने है. अनेक व्यवसायियों को घोड़ों का पालनपोषण करते समय अपना घर तक गिरवी रखने की नौबत आयी है. 

    घर के सामने खड़ी है बग्गियां

    शादी के समारोह एवं विभिन्न रैलियों में घोड़ों के साथ ही बग्गियों का खास महत्व है़  सरकार की पाबंदियों के चलते बग्गियां भी घरों के सामने खड़ी है़  विभिन्न आकर्षक रैलियों का सामान भी जस के तस पड़ा हुआ है़  कई व्यवसायियों ने मौसम के पहले बग्गी के साथ ही आकर्षक लाइटिंग का माल खरीदी किया था़  सारा खर्च पानी में जाने की बात व्यवसायियों ने कही.  

    सरकार ने सहायता देनी चाहिए

    कोरोना के चलते शुरूआत से ही हम प्रशासन को सहयोग करते आ रहे है़ं  हमारा यह पारंपारिक व्यवसाय होने के साथ ही परिवार का पालनपोषण इस पर निर्भर है़  एक ओर व्यवसाय ठप है़  फिर भी घोड़ों के पालनपोषण के लिए महीने का हजारों रुपए खर्च करना पड़ता है़  ऊपर से बिजली, पानी का बिल भी भरना पड़ता है़  सरकार ने हमें मदद की घोषणा कर राहत देनी चाहिए. 

    -राहुल जुमडे, घोड़ी तथा बग्गी व्यवसायी.

    हमें संकट से निकाले सरकार  

    लगातार दूसरे साल व्यवसाय ठप होने से बड़ा नुकसान हुआ है़  अगर लाकडाउन ऐसे ही चलता रहा तो हमारी आर्थिक हालत और भी गंभीर होगी, जिससे निकलना नामुमकिन हो जाएगा़  प्रतिदिन 5 घोड़े की देखभाल का खर्च अब उठाना मुश्किल हो गया है़  अब हमें इस संकट से सरकार ही निकाल सकती है.   

    -करण केवटे, घोड़ी तथा बग्गी व्यवसायी.