विदेश छात्रवृत्ति में अनुसूचित जाति पर अन्याय, आय मर्यादा 10 लाख बढाएं

  • वंचित बहुजन आघाडी की मांग

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वर्धा. महाराष्ट्र सरकार के सामाजिक न्याय विभाग द्वारा अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को विदेश में उच्च शिक्षा हेतु दी जानेवाली छात्रवृत्ति के लिए पारिवारिक आय की मर्यादा 6 लाख तय की गई है. वही खुले प्रवर्ग के लिए यह आय मर्यादा 20 लाख है. परंतु यह निर्णय परदेश में उच्च शिक्षा के लिए जानेवाले अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के लिए जातियवाद होकर समाज पर अन्याय हो रहा है, ऐसा आरोप वंचित बहुजन आघाडी हिंगनघाट तहसील अध्यक्ष डा़ उमेश वावरे ने लगाते हुए क्रिमीलियर की शर्त रद्द करने की मांग की है.

इस संबंध में डा़ उमेश वावरे ने एसडीओ के जरीए सामाजिक न्याय मंत्री धनंजय मुंडे को ज्ञापन सौंपा है. ज्ञापन में कहा गया है कि, विदेशी विद्यापीठ व शैक्षणिक संस्थाओं में पीएचडी के लिए प्रवेश मिले विद्यार्थियों के पालकों या परिवार की वार्षीय आय 6 लाख रुपए होने की शर्त थी. जिससे आर्थिक दृष्टिकोण से सधन होनेवाले परिवार के विद्यार्थी इस योजना का लाभ लेते है. आर्थिक रुप से कमजोर परिवार के जरुरतमंद विद्यार्थियों को इस बदलाव से इस योजना का लाभ मिलेगा, ऐसा सामाजिक न्यायमंत्री धनंजय मुंडे का मानना है. खुले प्रवर्ग के विद्यार्थियों के लिए विदेश शिक्षा की आय मर्यादा 20 लाख थी.

अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के लिए यह आय मर्यादा केवल 6 लाख है. मूल रुप से दुर्बल घटक के लिए 10 फीसदी आरक्षण दिया गया है. उन्हे 8 लाख वार्षिक आय मर्यादा है. यानि आर्थिक दुर्बल होने 8 लाख की मर्यादा व अनुसूचित जाति के योजना में यह 6 लाख यह भेदभाव है. परदेश के छात्रवृत्ति के लिए विद्यार्थी संख्या बढाए, परिवार की आर्थिक आय बढाकर 10 लाख रुपए करें, ऐसी मांग वंचित बहूजन आघाडी ने एसडीओ के जरीए सामाजिक न्याय मंत्री धनंजय मुंडे से की. ज्ञापन सौंपते वक्त हिंगनघाट तहसील अध्यक्ष डा़ उमेश वावरे, शहर अध्यक्ष दिलीप कहूरके, प्रसिद्धि प्रमुख मनिष कांबले, चारू आटे, विशाल थूल, राजेश खानकूरे, विजय फूलझले, प्रदिप डोलस मौजूद थे.