जिले में दिखावा बन गई शराबबंदी; चंद्रपुर जिले में हटाने पर कहीं निषेध तो कहीं समर्थन

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    वर्धा. राज्य सरकार ने चंद्रपुर जिले में शराबबंदी हटाने के निर्णय के बाद वर्धा जिले में चर्चाओं का बाजार गरमाया हुआ है़ जिले में किसी ने इस निर्णय का कड़ा निषेध जताया तो, कुछ ने इसका समर्थन भी किया़ वर्धा में भी केवल नाम के लिए ही शराबबंदी लागू हैं. इसे लेकर विविध प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है़ बता दें कि गांधी जिले के रूप में वर्धा पूरे विश्व में पहचाना जाता है़ सेवाग्राम यह बापू की कर्मभूमि रही है़ जिले में 1974 को शराबबंदी का निर्णय लिया गया़ परंतु वर्तमान स्थिति यह है कि, शराबबंदी होते हुए भी जिले में धड़ल्ले से शराब की अवैध बिक्री शुरू है.

    तत्कालीन विधायक प्रमोद शेंडे ने जिले से शराबबंदी उठाने की मांग की थी़ गृहमंत्रालय में भी इस आशय का प्रस्ताव भेजा गया था़ परंतु विविध संगठनों के कड़े विरोध से यह बात आगे नहीं बढ़ पायी़ भाजपा की सरकार रहते चंद्रपुर जिले में शराबबंदी लागू की गई थी़ परिणामवश चंद्रपुर में बड़ी मात्रा में अवैध शराब बिक्री ने जोर पकड़ा था़ इसे देखते हुए अब सरकार ने चंद्रपुर में शराबबंदी हटाने का निर्णय लिया है़ इस निर्णय पर सभी स्तर से संमिश्र प्रतिक्रिया व्यक्त की जा रही है.

    शराबबंदी केवल नाम की रह गई

    चंद्रपुर में शराबबंदी का प्रयोग पूर्णत: फंस गया है़  वहां अपराधिक घटनाएं बढ़ने के साथ ही नकली, जहरीली शराब की आपूर्ति की जा रही थी़  इसका आम जनता के स्वास्थ्य पर बुरा असर हो रहा था़  इस कारण शराबबंदी केवल नाम की रह गई है़  वर्धा में भी बड़े पैमाने पर अवैध शराब बिक्री शुरू है़  गांवठी, नकली शराब की आपूर्ति हो रही है़  आज तक कई लोगों की जहरीली शराब से जान भी गई है, जिससे शराबबंदी हटाने पर विचार होना चाहिए. 

    -शेखर शेंडे, नेता-कांग्रेस.

    वर्धा में भी करे सर्वेक्षण 

    जिस तरह चंद्रपुर में सर्वेक्षण किया गया, उसी तर्ज पर वर्धा में भी सर्वेक्षण करें. जनमत जाने़ं  तीन वर्ष में चंद्रपुर की शराबबंदी गलत साबित हुई, तो वर्धा में पिछले चालीस वर्षों का रिकार्ड देखे़  वर्धा में भी यह निर्णय गलत ही साबित हुआ है़  गांधी की कर्मभूमि वर्धा हैं, मानते ह, परंतु वे पूरे देश के है, तो देश में शराबबंदी क्यों नहीं की गई़  पवनार व सेवाग्राम आश्रम परिसर छोड़ जिले में शर्तों के आधार पर शराबबंदी हटाने पर विचार होना चाहिए. 

    -सुधीर गिरे, मराठा सेवा संघ.

    शराबबंदी पर हो अमल

    चंद्रपुर के शराबबंदी के मुद्दे को नेताओं ने अपने वर्चस्व की लड़ाई बना दिया था, जिसके चलते सत्ताधारी नेताओं की जीत हुई है़  शराबबंदी के कारण बढ़ते क्राइम रेट का हवाला देना निंदनीय है़  अब किसी को भी महापुरुषों की विचारधारा तथा आम जनता की फिक्र नहीं है़  शराबबंदी पर अमल होना चाहिए था़  सरकार का शराबबंदी हटाने का निर्णय निषेधार्थ है़ 

    -गजेंद्र सुरकार, महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति.

    सरकार का फैसला पूरी तरह गलत

    लॉ एंड आर्डर का हवाला देते हुए सरकार ने जो चंद्रपुर की शराबबंदी हटाने का निर्णय लिया, वह सरासर गलत है़  आज भी चंद्रपुर में महिला मंडल विरोध कर रही है़  भविष्य में वर्धा में भी लॉ एंड आर्डर का हवाला देकर शराबबंदी हटाने की मांग हो सकती है़ 

    -योगेंद्र फत्तेपुरीया, समाजसेवी.