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    वर्धा. विगत ढेड माह से कोरोना ने फिर पैर पसारना शुरू किया है.  प्रतिदिन मिल रहे मरीजों के आंकडे रिकार्ड तोड रहे है.  डाक्टरों का कहना है की, यह कोरोना का नया स्ट्रेन काफी खतरनाक है़  इसके पहले बालकों पर कोरोना का प्रादुर्भाव होने के मामले दुर्लभ ही थे़  लेकिन यह स्ट्रैन बालकों पर भी अटैक करने की बात सामने आ रही है़  इसमें एक राहत देनेवाली बात यह की, कोरोना का रिकवरी रेट 85 फिसदी के आसपास है़  समय पर उपचार लेनेवाले जल्द ठिक हो रहे है़  फिर भी कोरोना की चपेट से बचने के लिए इन दिनों ज्येष्ठ नागरिक, बालक घरों में लाकडाउन हो गए है.

    पिछले वर्ष मार्च महिने से जारी कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है़  यह संकट अब दूर हो रहा है, ऐसा नवंबर एवं दिसंबर महिने में लग रहा था़  लेकिन फिर नये साल में फरवरी महिने से मरीज मिलने शुरू हुए़  मार्च महिने में कोरोना ने रफ्तार पकडी.  अब यह हालात है की, प्रतिदिन 500 के आसपास मरीज जिले में मिल रहे है.

    अस्पतालों में बेड नहीं मिलने से प्रशासन द्वारा विभिन्न उपाययोजना की जा रही है़  साथ ही नागरिकों को कोरोना नियमों का पालन करने, ज्येष्ठ नागरिक व बालकों पर ध्यान देने का आहवान प्रशासन द्वारा किया जा रहा है़  जिसे शहर में अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है़  अब सुबह तथा शाम के समय रास्तों, बागिचों तथा मैदानों में दिखनेवाले ज्येष्ठ नागरिक तथा बालकों की संख्या कम होते दिख रही है.  

    युवावर्ग कर रहा पहल

    कोरोना के इस संकट में अनेक परिवारों से युवावर्ग ही घरों के बाहर निकलते दिख रहा है़  बुजूर्ग तथा बालकों पर वे ध्यान रखे हुए है़  कई जगह वृद्ध दम्पत्ती रहने पर उक्त वार्ड के युवा उनकी मदत करते दिख रहे है़  साथ ही ब्लड बैंकों में रक्त की कमी भी पूर्ण करने की जिम्मेदारी वे निभाते दिख रहे है.  

     मास्क, सोशल डिस्टन्सिंग का करें पालन

    फिलहाल कोरोना मरीजों की संख्या तेजी से बढ रही है़  अनेक मरीज ऐसे है, जिनमे लक्षण नहीं होते़  लेकिन उनसे कोरोना की चपेट में आने का अन्य लोगों को खतरा रहता है़  जिससे बाहर अगर हम किसी से भी मिलते है, तो यह मानकर चले की उसे भी कोरोना है़  मास्क एवं सोशल डिस्टन्सिंग का पालन करना चाहिए़  नया स्ट्रैन छोटे बच्चों पर भी अटैक कर रहा है. जिससे उनपर भी ध्यान रखे. कुछ दिनों तक उन्हें बाहर खेलने में जाने से रोके. उनसे बाहर से कोरोना का प्रादुर्भाव होने की आशंका है.

    -डा़ सुहास जाजू, वर्धा