चिकित्सक के अभाव से 8 घंटे तक स्ट्रेचर पर पड़ा रहा मरिज

  • सेवाग्राम अस्पताल का मामला
  • अस्पताल प्रशासन की लापरवाही

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वर्धा. सेवाग्राम स्थित कस्तुरबा अस्पताल इन दिनों काफी चर्चा में है़ इस बार पुन: अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का मामला प्रकाश में आया़ पैर में फैक्चर होने से ईलाज के लिए पहुंचे सात वर्षिय बालक को चिकित्सक के अभाव में करीब 8 घंटे तक स्ट्रेचर पर ही रखा गया़ अंतत: त्रस्त परिजनों ने उसे वापिस घर ले जाने का निर्णय लेते ही बालक को दाखील करवाया गया़ अस्पताल प्रशासन के इस बर्ताव पर परिजन व उपस्थित नागरिको ने असंतोष जताया. 

बता दे कि, सेवाग्राम अस्पताल पुरे देश में प्रसिध्द है़ मात्र गत कुछ वर्षों से अस्पताल प्रशासन अपनी लापरवाही के लिए भी मशहुर हो रहा है़ कईयो ने समय रहते ईलाज न मिलने से अपनी जान गवाई है़ इससे अस्पताल के प्रति नाराजगी व्यक्त हो रही है़ धामणगांव (रेले) निवासी सात वर्षिय बालक खेलते समय दुपहिया की टक्कर में घायल हो गया़ उसका पैर फैक्चर होने से उसे निजी अस्पताल में दाखील किया गया़ पश्चात उसे शल्यचिकित्सा बताई़ परिणामवश शनिवार की दोपहर 1 बजे परिजन उसे लेकर सेवाग्राम अस्पताल पहुंचे़ बाह्यरुग्ण विभाग बंद होने से सत्यासाई ट्रामा सेंटर में बालक को लाया गया़ जहां आर्थो का चिकित्सक अनुपस्थित होने से कुछ घंटे परिजन रुके रहे़ इस दौरान दो बार एक्सरे  निकालकर बाल विभाग तथा सर्जरी विभाग के चिकित्सकों का मार्गदर्शन मिलने तक एवं एमएलसी नहीं होंगी तबतक बालक को भर्ती नहीं किया जा सकता, ऐसा परिजनो को बताया गया़ बाल विभाग का मार्गदर्शन लेने बालक को लाया गया, किन्तु चिकित्सक ही उपस्थित न होने से करीब आठ घंटे तक बालक स्ट्रेचर पर पडा रहा़ इस घटना से अस्पताल प्रशासन के दिया तले अंधेरा, यही कहा जा सकता है. 

हमेशा चिकित्सक रहते है नदारद
अस्पताल के ट्रामा सेंटर में प्रतिदिन इमर्जन्शी मरिज आते है. इसमें हृदयाघात, हादसा व अन्य बिमारी के मरिज रहते है. किन्तु यहां कार्यरत चिकित्सक हमेशा नदारद रहने से परिजनों को त्रासदी का सामना करना पडता है. मरिज पहुंचने पर चिकित्सक से संपर्क कर बुलाया जाता है. तबतक मरिज अपनी जान गवा देता हैं, इसी के कारण अस्पताल में परिजन संतप्त होकर हंगामा मचाते है. 

उलटा चोर कोतवाल को डाटे
सात वर्षिय बालक को भर्ती करने में विलंब होने से परिजनों ने असंतोष व्यक्त किया. परिजनों ने गुहार लगाने पर भी चिकित्सक मान नहीं रहे थे. इससे परिजनों ने असंतोष व्यक्त करने पर उलाट उन्हें ही चिकित्सक भलाबुरा कहने लगे. कई बार परिजनों को पुलिस की धमकी दी जाती है. 

अंतत: आईसोलेशन कक्ष में किया दाखील
परिजनों के अनुसार विवाद के बाद चिकित्सको ने बालक को आईसोलेशन कक्ष में दाखील किया़ बाहरी जिले से होने कारण यहां दाखील किया गया़ कोरोना टेस्ट होने के बाद शल्यक्रिया की जाएंगी, ऐसा चिकित्सको ने बताने की जानकारी परिजनों ने दी.