बारिश रूठी, उम्मीदें छूटी, किसानों की आशा पर पानी फिरा

  • वरूणदेव की अवकृपा, नही अंकुरा बिज
  • बिगड़ेगा कृषि क्षेत्र का खेल

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वर्धा. गत आठ दिनों से बारीश रूठने के कारण किसानों की उम्मीदे भी छुठने लगी है. बारीश के अभाव के चलते जिले में अनेक जगह बिज अंकुरा नही तो कुछ जगह अंकुरीत हुये पौधे पानी के अभाव में अब सुखने लगे है. जिससे किसानों ने तबाह हुई फसल का चक्रीकरण (बखरणी) करना आरंभ किया है. यह भयानक परिस्थिती जिले में निर्माण हुई है. लॉकडाउन के कारण सबकी नजरे कृषि क्षेत्र पर टिकी थी.

इस वर्ष औसतन से अधिक बारिश होने का अनुमान मौसम विभाग ने लगाया था. समय के पूर्व ही बारिश ने दस्तक दे दी. जून के शुरूआती दौर में बारीश ने अनेक जगह जोरदार आगाज किया. तो कुछ जगह रिमझिम फुवांरे लगाये थे. इसी दौरान जून के दूसरे सप्ताह में मौसम विभाग ने झमाझम बारिश होने की भविष्यवानी की थी. परिणामस्वरूप जिले में बुआई के कार्य ने तेजी पकडी. कपास, तुअर व सोयाबीन की बुआई किसानों ने करना आरंभ किया.

लगभग 90 प्रतिक्षत किसानों बुआई का कार्य पूर्ण किया. शुरू में हुई बारिश व रिमझिम फुवारों के कारण जमीन में नमी निर्माण होने से बिज अंकुरीत होने की प्रक्रीया आरंभ हुई. किंतु इसके उपरांत बारिश अचानक नदारद हुई. जिससे बिजों की अंकुरीत होने की क्षमता पर असर होने से बिज खराब होने लगा. जहां अधिक नमी थी, वहां पौधे अंकुरित होकर जमीन के बाहर आये. लेकीन उसके उपरांत बारिश नही आने से यह पौधे मुरझाकर मरने लगे है. कम नमी व बारिश की बेरूखी के चलते सोयाबीन, कपास व तुअर की 50 प्रतिक्षत से अधिक फसल पर संकट मंडरा रहा है.

नही निकले बीज, कर रहे बखरणी
बारिश के अभाव बिज की अंकुरन क्षमता पर बुरा असर पडा. प्रतिवर्ष 10 से 20 प्रतिक्षत बिज कम अंकुरित होता है. अपितुं इस वर्ष अंकुरन क्षमता 60 से 70 प्रतिक्षत कम होने के कारण जिले के अनेक किसानों ने बखरणी करना आरंभ किया है. सबसे अधिक असर सोयाबीन की फसल पर पडा है.

 फसल बचाने के लिये जद्दोजहद
बारिश के अभाव में सुख रही फसल बचाने के लिये किसान जद्दोजहद कर रहे है. जिन किसानों के पास सिंचाई की व्यवस्था है. वह दिन रात एक कर फसल बचाने में जुट गये है. दिनभर कृषि पंपो को बिजली आपूर्ति नही होने के कारण देर रात अथवा तडके 3 बजे खतों में जाकर सिंचाई कर रहे है.

नामचिन बिज नही मार्केट में उपलब्ध
किसान प्रतिवर्ष सोयाबीन व कपास की बुआई करते समय विशिष्ट कंपनियों के ब्रान्ड को तवज्जो देते है. किंतु लॉकडाउन के कारण इस वर्ष मार्केट बिज कम मात्रा में आया. सोयाबीन के बिज की किल्लत तो शुरू से रही है. ऐसे में दुबारा बुआई के लिये किसानों को अच्छी क्वॉलीटी का बिज मिल पाना कठीण है. जिससे उपज पर बुरा असर हो सकता है