Medical Waste
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    वर्धा. जिले में गत दो माह से कोरोना संक्रमन का फैलाव तेज गती से हो रहा है. अस्पताल व कोविउ केअर सेंटर में जगह नही होने के कारण अनेक मरीज घर पर उपचार कर रहे है. परंतु संपूर्ण जिले में गावस्तर से शहर तक मरीजों का कचरा जमा करने के लिये अलग व्यवस्था नही होने के कारण यह कचरा कहां जाता है. यह गंभीर प्रश्न निर्माण हुआ है. यह कचरा खुले में डालने के कारण संक्रमन का खतरा बढ गया है.

    कोरोना जैव वैदयकीय कचरा अलग से जमा कर उसका निपटान करने के राज्य सरकार के आदेश है.कोरोना केंद्र का कचरा एकत्रित कर उसे निपटान के लिये लेकर जाते है. परंतु वर्तमान में जो मरीज घर पर उपचार कर रहे है उनके कचरे के संदर्भ में ऐसी कोई व्यवस्था नही है.जिससे यह कचरा संक्रमन बढाने का काम कर रहा है.

    जानवरों में बढ सकता संक्रमन

    कोरोना मरीजों का कचरा एवं पदार्थ खुले में डाले जाते. शहर व ग्रामीण क्षेत्र में जानवरों अनेक बार इस कचरे के साथ जाते है. अथवा उसे खाते है. जिससे जानवरों में भी संक्रमन का डर बना हुआ है. उसी तरह शहरी क्षेत्र में कुडा कचरा जमा कर अपनी रोजी रोटी कमाने वाले अनेक है. वही भी इस कचरे को उठाते है.जिससे उनके भी संक्रमन बढने की आशंका है.

    घंटा गाडी पर की गई व्यवस्था

    होमआयसोलेशन के मरीजों का कचरा जमा करने के लिये घंटा गाडी पर विशेष व्यवस्था की गई है. यह कचरा एक गड्डे में डाला जाता है. कचरे के संदर्भ में घंटा गाडी से सूचना दी जाती है. नागरिकों ने भी अपनी जिम्मेदारी समझकर सहयोग करना चाहिए. कचरा यहां वहां फेकने के बजाये घंटा गाडी में डालना चाहिए.

    श्मशान भूमी में फेंका जाती सामुग्री

    इन दिनों कोरोना संक्रमितों की मौत आकडा बढ गया है. प्रतिदिन स्वास्थ्य कर्मीयों के साथ मृतक के परिजन श्मशान भूमी में आते है. यहां दाह संस्कार होने के बाद पीपीई सुट, मास्क से लेकर अनेक वस्तु  कही पर भी फेंकी जाती है.यह बात अनेक बार उजागर होने के बाद भी प्रशासन व्दारा कोई कदम नही उठाया गया.

    ग्रामीण क्षेत्र में नही हो रही जनजागृती

    मरीज के कचरे के संदर्भ में ग्रामीण क्षेत्र में अधिक जानकारी नही होती है. ग्रापं व्दारा भी कचरे के संदर्भ में कोई व्यवस्था नही की जाती तथा जनजागृती नही की जाती. परिणामवश यह कचरा ग्रामीण क्षेत्र के लिये खतरा बन सकता है.

    -विपीन पालीवाल, मुख्याधिकारी नप वर्धा   

    72 घंटे तक थैली में रखे कचरा

    होम आयसोलशेन में रखे हुए मरीजों ने अपना कचरा एक कपडे की थैली में 72 घंटे रखना चाहिए. जिसके उपरांत यह कचरा घंटा गाडी में डाल सकते थे. या फिर उसका घर पर निपटान कर सकते है. मरीज व उसके परिजनों ने यह कचरा यहां वहां फेकना नही चाहिए. जिससे संक्रमन का खतरा बढ सकता है. नप ने घंटा गाडी में इस कचरे के लिये विशेष व्यवस्था करनी चाहिए. जमा होनेवाले कचरे का गाईड लाईन के अनुसार निपटान करना चाहिए.

    -डा.सचिन पावडे, वैधकीय जनजागृती मंच