Government relaxes corona restrictions in Mizoram, schools-colleges and religious places will reopen
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  • नियमों का पालन असंभव

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वर्धा. कोरोना के चलते हुए लॉकडाऊन से सभी क्षेत्र प्रभावित हुए है. सबसे अधिक प्रभाव शिक्षा क्षेत्र पर देखा गया है. गत मार्च माह से स्कूल, कॉलेज सभी शैक्षणिक संस्था बंद है. यहा तक की कोरोना संक्रमण के कारण अंतिम वर्ष छोड अन्य परीक्षाएं भी नही हुई. ना ही नए सत्र की शुरुआत हुई. परंतु केंद्र सरकार ने गाईलाइन जारी कर 15 अक्टूबर से स्कूल, कॉलेज खोलने की अनुमति दी है. लेकिन बढते कोरोना के संक्रमण को देखते हुए जिले के शिक्षा संस्था के प्राचार्य ने साफ तौर पर विद्यार्थियों को कॉलेज तथा स्कूल बुलाने पर संदेह जताया है. तो वही पालकों ने बच्चों को स्कूल, कॉलेज भेजने से इंकार किया है.जिससे सरकार की पहल केवल औपचारिकता बन सकती है.

केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने सोमवार को स्कूल व टयुशन क्लासेस के संदर्भ में नई गाईड लाईन जारी की है. जिसके अनुसार 15 अक्टूबर से स्कूल व टयुशन क्लासेस खोलने की अनुमति दी है. किंतु गाईड लाईन के साथ ही शिक्षा मंत्रालय ने नियमों का पालन अनिवार्य किया है. साथ पाल्यों के भेजना है, की नही इसका निर्णय पालको पर छोडा है. परंतु कोरोना संक्रमन का बढता विस्तार देख पालकों के मन में भय का वातावरण होने के कारण वे अपने पाल्यों को भेजने के लिये तैयार नही है. तो वही स्कूल व कॉलेज भी कोई जोखीम नही उठाना चाहते.

परिणामस्वरूप सरकार की पहल के बाद भी और कुछ दिन स्कूल, टयुशन व कॉलेज शांत ही रहेंगे. इस संदर्भ प्राचार्य, प्रधानाचार्य व पालकों से चर्चा करने पर उन्होंने भी सरकार के निर्णय पर संदेह जताया है.

विद्यार्थियों को कॉलेज बुलाना बडी जोखीम- प्राचार्य ओम

महोदया

जे बी साइंस कॉलेज के प्राचार्य ओम महोदया से संपर्क करने पर उन्होने बताया कि, फिलहाल कोविड-19 का खतरा गंभीर बना हुआ है. कॉलेज में पढनेवाले विद्यार्थियों की संख्या अधिक है. जिस कारण सभी बातों पर ध्यान देना असंभव है. फलस्वरुप विद्यार्थियों को कॉलेज बुलाना बडी जोखीम है. अगर विद्यार्थियों की संख्या कम है तो वहा सभी बाते जैसे मास्क, सैनिटराईजेशन, सोशल डिस्टंस का ध्यान रखा जा सकता है. परंतु अधिक विद्यार्थी संख्या वाले स्कूल, कॉलेजों में यह संभव नही है. लेकिन विद्यार्थियों की पढाई तथा शैक्षणिक नुकसान रोकने के लिए जिस तरह से ऑनलाइन टिचिंग जारी है, उस तकनीक को ही अपनाना चाहिए. यही सभी के लिए बेहतर विकल्प साबित होगा.

पैरेंट्स पर सब निर्भर:

बेनी सैमुएल स्कूल ऑफ स्कालर के प्राचार्य बेनी सैमुएल ने बताया कि, सरकारी के निर्णय के बाद भी सबकुछ पालकों पर निर्भर है.पालक अपने पाल्य को खतरे में डालने के लिये तैयार नही है.उनकी मानसिकता बच्चों को स्कूल में भेजने की नही है.स्कूल स्तर पर हमारी तयारी है.पालको की इच्छा रही तो सरकारी निदेशों का पालन करके स्कूल शुरू कर सकते है.

ग्रृप में बच्चों को बुलाना ही विकल्प-

मुख्याध्यापक ईशरथ मौलाना आजाद हाईस्कूल के मुख्याध्यापक ईशरथ सर ने बताया कि, फिलहाल बच्चों की स्थिति देखते हुए स्कूल खोलना जरुरी हो गया है. क्योकि, ऑनलाइन स्टडी में बच्चे पूरा ध्यान नही दे पाते, जिससे पालकों की शिकायते बढ गई है. अगर सरकार स्कूल, कॉलेज खोलने को कहती है तो, सभी बच्चों को एकसाथ बुलाना संभव नही है. परंतु विकल्प के तौर पर जिन बच्चों को प्रॉब्लेम है उनका 10-10 का ग्रुप बनाकर बुलाया जा सकता है. सभी बच्चों को एकसाथ बुलाते है तो कोविड नियमों का पालन नही होगा.

नही लेंगे रिस्क-

बलराम ठाकुर पालक बलराम ठाकुर ने कहा कि, फिलहाल कोरोना के मरीज बढते ही जा रहे है. ऐसे में कोई भी पालक रिस्क नही लेना चाहेंगें. हम बडे किसी तरह की खुद की सुरक्षा कर सकते है, परंतु बच्चे है तो खेलेंगे ही, एक दूसरे से मिलेंगे. वो अपनी केयर नही कर सकते. जिस कारण अभी फिलहाल बच्चों को स्कूल भेजना संभव नही है. दीवाली के बाद अगर कोरोना संक्रमण कम होता है तो बच्चों को स्कूल भेजने का विचार करेंगे.

नही भेजेंगे स्कूल- डा़ अंचल पांडे पालक

डा़ अंचल पांडे ने कहा कि, फिलहाल क्रिटीकल पिरेड चल रहा है. कोरोना अपने चरम पर है. ऐसी स्थिति में बच्चों को स्कूल भेजने का विचार तक नही किया जा सकता. बच्चें अपना ध्यान खुद नही रख सकते. टिचर्स भी कितना ध्यान देगी, जिससे हम बच्चों को स्कूल नही भेंजेंगे.

कम से कम एक माह तो नही- दिपन मिश्रा पालक

दिपन मिश्रा ने कहा कि, फिलहाल तीव्र गति से कोरोना का संक्रमण बढ रहा है. मरीजों की संख्या लगातार बढ रही है. इसकी वजह से हम बच्चों को स्कूल नही भेजेंगे. कम से कम एक माह तो बच्चों को स्कूल भेजने का विचार भी नही कर सकते. उसके बाद स्थिति देखकर निर्णय लेंगे.