वर्धा. पिछले 45 वर्षों से वर्धा जिले में शराबबंदी लागू है़, लेकिन सर्वत्र खुलेआम अवैध रूप से शराब बिक्री होने से यह पाबंदी केवल कागजों पर सिमट गई है़ नकली शराब के कारण युवा वर्ग मौत हत्थे चढ़ रहा है़ शराब बिक्री करने वाले असामाजिक तत्वों के कारण अपराधिक घटनाओं में वृद्धि हुई है. परिणामवश अप्रिय घटनाओं को रोकने शराबबंदी हटाने की मांग दारुबंदी हटाओ आंदोलन समिति के साथ जुड़े राजनेताओं, समाजसेवी व आम नागरिक ने की है़.
समिति की तीसरी बैठक जल्द ही होने वाली है़, जिसमें 17 जुलाई को पालकमंत्री को शराबबंदी हटाने के बारे में निवेदन देने के बारे में नियोजन किया जाएगा. उसी प्रकार आंदोलन की जिम्मेदारी किसी एक व्यक्ति के पास न सौंपते हुए इससे जुड़े सभी लोग सदस्य के रूप में कार्य करेंगे तथा आंदोलन आगे ले जाकर सफल बनाने का निर्णय लिया गया है.
और तीव्र किया जाएगा आंदोलन
शराबबंदी लागू करके किसी को शराब से दूर रखना संभव नहीं है़ परिणामवश आज सर्वत्र अवैध शराब के धंधे खुलेआम शुरू है़ विक्रेताओं द्वारा जहरीली शराब उपलब्ध कराई जा रही है, जिससे युवा पीढ़ी खतरे में है़ शराबबंदी हटाना जिस पर एकमात्र विकल्प होगा़ इसके बाद हम प्रबोधन के माध्यम से लोगों को शराब से दूर रख सकते है़ समिति के माध्यम से तीव्र आंदोलन खड़ा किया जाएगा.
-मनीष फुसाटे, सदस्य-जिला परिषद.
विकास कार्यों में आ रही है बाधा
शराबबंदी वर्धा के विकास में बाधा निर्माण कर रही है़ शराबबंदी हटाने की मांग के पिछे नागरिकों का नैतिक अधिकार, उनके स्वास्थ्य, रोजगार के नएं अवसर आदि विषय है़ अगर शराबबंदी हटी तो व्यवसाय के रूप में नये रोजगार तैयार होंगे.
-राहुल करंडे.
शराबबंदी मात्र दिखावाभर रह गई
अवैध शराब की बिक्री इतनी बढ़ गई है कि जिले में शराबबंदी केवल दिखावा साबित हो रही है़ इससे सेवाग्राम तथा पवनार आश्रम का कुछ परिसर छोड़कर अन्य जगह शराब शुरू करने की जरूरत है़ डूब रहे रेवेन्यू से जिले का बड़े पैमाने पर विकास होगा.
-प्रवीण हिवरे, अध्यक्ष-एमआयडीसी इंडस्ट्रीयल एसो.