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    वर्धा. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कर्मभूमि सेवाग्राम आश्रम के कारण वर्धा जिले को गांधी जिले के रूप में पहचान प्राप्त हुई़ सेवाग्राम स्थित बापूकुटी आश्रम तथा पवनार स्थित भूदान आंदोलन के प्रणेता विनोबा भावे के पवनार आश्रम के कारण वर्ष 1975 से जिले में शराबबंदी घोषित की गई. वहीं सरकार की उदासीनता के कारण 46 वर्षों शराबबंदी कागजों पर सीमित है.

    जगह-जगह अवैध शराब की बिक्री होने से अपराधिक घटनाएं भी बढ़ गई है, जिससे तत्काल जिले की शराबबंदी हटाने की मांग शिवा संगठन के वर्धा जिलाध्यक्ष भाजपा कार्यकारिणी सदस्य सलाहकार संगीत कलोपासक संघ के जिला संगठन सुरेश पट्टेवार ने मुख्यमंत्री ठाकरे से की है़ जिले में शराबबंदी केवल कागज पर ही सीमित है.

    शराबबंदी के कारण सरकार का करोड़ों रुपए का राजस्व डूब रहा है़ केवल खाकी वर्दीवालों की जेब गरम हो रही है. छुपकर शराब पिने का प्रमाण बढ़ गया है़ इस दौरान जहरीली शराब की आपूर्ति होने से कई लोगों की मौत होने से उनके परिवार बर्बाद हो गए है.

    तीन वर्ष पूर्व भाजपा के शासन काल में तत्कालीन चंद्रपुर के पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने चंद्रपुर में शराबबंदी लागू की थी़ राज्य की आघाड़ी सरकार की ओर से चंद्रपुर की शराबबंदी हटाने का निर्णय लिया है़ 46 साल से वर्धा जिले की शराबबंदी केवल कागजातों पर ही सीमित है़ इससे वर्धा जिले में शराब की अधिकृत दूकानें आघाड़ी सरकार ने शुरू करने के लिए प्रयास करने चाहिए. यह मांग पट्टेवार ने मुख्यमंत्री समेत गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल, पुनर्वसन मंत्री विजय वडेट्टीवार को ज्ञापन भेजकर की है.