Supreme court
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वर्धा. 18 दिसंबर को सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय सुनाते हुए गोंड-गोवारी आदिवासी नहीं होने का निर्णय दिया है. इस निर्णय को लेकर गोंड-गोवारी समाज के लोगों में नाराजगी है. समाज के लोगों ने एकतरफा निर्णय बताते हुए इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय में रि-पीटीशन दाखिल कर न्याय के लिए आगे की लड़ाई लड़ने को लेकर प्रतिक्रियाएं दी.

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय एकतरफा

हाईकोर्ट के निर्णय को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गोंड-गोवारी समाज आदिवासी न होने का जो निर्णय दिया है, वह एकतरफा है. हमारा समाज बहुत गरीब है. हम आदिवासी होकर भी हमें सरकार ने गैर आदिवासी कहकर बाहर कर दिया है. यह समाज के साथ अन्याय है, इससे गोंड-गोवारी समाज पूरी तरह से बिखर जाएगा. परंतु न्याय के लिए हम रि-पीटीशन दाखिल करेंगे.

-भास्कर राऊत, जिलाध्यक्ष-आदिवासी गोवारी समाज संगठन.

रि-पीटीशन के लिए तैयार

सुप्रhम कोर्ट ने गोंड-गोवारी समाज के विरोध में निर्णय दिया है. परंतु यह निर्णय राजनीतिक नेता व अन्य आदिवासी संगठन के दवाब में लिया गया है. हमारे लिए अन्यायजनक है. इस निर्णय से आज जो हमारे समाज के बच्चे उच्च पढ़ाई कर रहे है, उनका काफी नुकसान होगा. इस अन्याय के विरोध में आवाज उठाकर रि-पीटीशन दाखिल करेंगे.

-धनंजय राऊत, संगठन अध्यक्ष-देवली.