सोयाबीन गया, कपास भिगा, सीएम पर निगाहें

  • किसानों की टिकी मुख्यमंत्री पर निगाहें

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वर्धा. पहले इल्लियां व बारीश ने सोयाबीन की फसल बर्बाद की. अब लौटती बारिश ने तबाही मचा दी. बारीश से कपास भीग गया. किसानों के मुंह तक आया निवाला छिन गया. आंखो के सामने मेहनत से उगाई पूरी फसल तबाह होने से किसानों के आंसू नही रुक रहे. ऐसी स्थिति में भी मुख्यमंत्री भेदभाव पूर्ण नीति अपना रहे है. एक ओर मुख्यमंत्री मराठवाडा में दौरा कर किसानों को आश्वासनों की खैरात बांट रहे है. वही दूसरी ओर जिले के किसानों के प्रति असंवेदनशीलता क्यो? क्या जिले में फसलों का नुकसान नही हुआ? किसानों पर अन्याय क्यो? ऐसे सवाल जिले के किसानों ने उपस्थित किए है.

जिले के किसानों का कुछ वर्षो से प्राकृतिक आपदा पिछा नही छोड रही है. इस वर्ष शुरुआत में हुई बारिश से अच्छी फसल की उम्मीद थी. भलेही किसानों को दुबारा बुआई करनी पडी, परंतु फसल देखकर किसान संतुष्ट था. परंतु सोयाबीन पर इल्लियां सहित विविध बीमारियों का प्रकोप होने से खेत पहले ही खाली हो गए. फिर भी किसानों ने हिम्मत नही हारी. लेकिन लौटती बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर ही पानी फेर दिया. गत सप्ताह जिले के अधिकांश क्षेत्र में अतिवृष्टि से सोयाबीन, कपास सहित फल वर्गीय फसलों का नुकसान हुआ. अब हालात यह है कि, प्राकृतिक आपदा के सामने किसान पूरी तरह से बेबस नजर आ रहा है. लेकिन इसके बावजूद भी मुख्यमंत्री मराठवाडा का दौरा करते है किंतु विदर्भ व जिले के किसानों प्रति उनकी असंवेदनशीलता दिख रही है.मुख्यमंत्री के व्यवहार पर किसानों में नाराजी देखी जा रही है.

किसानों की चिंता किसी को नही है

सर्वेक्षण का सिर्फ आश्वासन मिल रहा है, परंतु अब किसानों ने खेत बखर लिए है, फिर किस बात का सर्वे होगा. इससे पहले जब शरद पवार कृषि मंत्री थे, तब भी विदर्भ के किसानों पर अन्याय हुआ है. जिसमें विदर्भ को 18 फीसदी, मराठवाडा को 31 फीसदी तथा पश्चिम महाराष्ट्र को 50 फीसदी कर्जमाफी मिली. अब तो शरद पवार महाराष्ट्र के बडे नेता है, ऐसे में अब हमे कोई अपेक्षा नही. – विजय जावंधिया, किसान नेता

…तो आत्महत्या ही विकल्प

आर्वी तहसील में गत सप्ताह अतिवृष्टि हुई. जिससे किसानों को सोयाबीन कटाई ही नही करनी पडी. बल्कि पूरी फसल बर्बाद हो गई. मेरे पास चार एकड खेती है, लेकिन अब लागत खर्च निकलना भी मुश्किल है. कपास के फूल व फल सड चुके है. बिनाई के लिए आया कपास भी भीगने के कारण जमीन पर गिर गया है. अधिक बारिश से तुअर की फसल पर असर हुआ. लेकिन अभी तक सरकार की ओर से कोई मदद नही मिली है. सरकारी यंत्रणा पूरी तरह से एक्टीव नही है. अगर मदद नही मिली तो आत्महत्या के अलावा कोई विकल्प नही. – कैलास रामटेके, बाजारवाडा

मुख्यमंत्री हमारा दर्द समझे

25 एकड में लगाई हुई सोयाबीन की फसल बर्बाद हो गई. मजदुर लगाकर फसल उखाडकर फेंकी गई है. तो कुछ फसल पर रोटावेटर चलाया. अतिवृष्टी व इल्लीयों से नुकसान हुआ है. मुख्यमंत्री ने हमारा भी दर्द समझना चाहिएं. अनिल सावरकर, इसापुर तह.देवली

अब सरकार ही दे

ध्यान लौटते हुए मान्सून ने नुकसान किया है. सोयाबीन की फसल का उत्पादन केवल 25 प्रश हुआ. कपास गिला हुआ साथ ही विविध संक्रमन के चपेट में आया है. ऐसे में अब सरकार ने ध्यान देकर आर्थिक सहायता करनी चाहिए. मुख्यमंत्री ने हमारी ओर ध्यान देना चाहिएं. – अरविंद बोरकर, सिंदी रेलवे

50 हजार का अनुदान दें

लगातार बारिश से खरीफ का सोयाबीन पूरी तरह से बर्बाद हुआ. इस संकट का अनुमान किसानों को शुरुआत में ही हुआ था. अब सोयाबीन कटाई शुरु होकर लौटती बारिश ने काफी नुकसान किया है. कपास फसल भी खराब हुई है. लाल्या का प्रादुर्भाव हुआ है. जिससे किसानों का बुआई खर्च निकलना तक मुश्किल है. जिस कारण सरकार हेक्टेयर 50 हजार रुपए अनुदान देकर कर्जमाफी करें. भानुदास ठाकरे, शेतकरी सिंदी (रेलवे).