16 corona patients died due to lack of oxygen in Nepal
File Photo

    Loading

    वर्धा. कोरोना संकटकाल में समूचे राज्य में स्वास्थ्य सेवा दम तोड़ती जा रही थी. परंतु वर्धा ने इस मुश्किल घड़ी में स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है. आक्सीजन व रेमडेसिविर, एम्फोटेरिसीन इंजेक्शन का उत्पादन करने के साथ ही सेवाग्राम व सावंगी मेडिकल कालेज ने अनेकों की जान बचाने का कार्य किया है. महात्मा गांधी व विनोबा भावे के करकमलों से पावल वर्धा जिला सभी के लिये संदेश देने वाला जिला रहा है. वर्ष 1945 में डा. सुशिला नायर ने सेवाग्राम अस्पताल की नींव रखी थी. आजादी के पूर्व देश में स्वास्थ्य सुविधा नाममात्र ही थी. तब से सेवाग्राम अस्पताल स्वास्थ्य सेवा में अपना योगदान दे रहा है.

    सेवाग्राम के साथ ही सावंगी के आचार्य विनोबा भावे अस्पताल का भी सेवा कार्य पिछले तीन दशकों से चला आ रहा है. यह दोनों मेडिकल कालेज जिले के साथ ही विदर्भ के अन्य जिलों के सिवाय मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंधप्रदेश नागरिकों के लिए वरदान साबित हुए है. कोरोना काल में सभी और स्वास्थ्य सुविधा दम तोड़ रही थी. ऐसे में दोनों अस्पतालों ने कोरोना मरीजों पर उपचार कर उन्हें स्वस्थ किया.

    मराठवाड़ा और एमपी से भी आते हैं मरीज

    विदर्भ के साथ मराठवाड़ा व अन्य जगह से प्रतिदिन मरीज जिले में उपचार के लिए आते है. बड़े से बड़ी जटील शल्यक्रिया भी जिले में होती है. बीते 14 माह में कोरोना से संक्रमित हुए सैकड़ों मरीजों का इलाज सेवाग्राम व सावंगी के अस्पताल में हुआ है. वर्धा के नागरिकों के साथ यवतमाल, नागपुर, वाशिम, चंद्रपुर, नांदेड, अमरावती के साथ ही अन्य जिलों के नागरिक उपचार के लिए दाखिल हुए थे. वर्धा में कोरोना इलाज के लिये अस्पताल में दाखिल होने वाले व्यक्तियों में करीब 25 फीसदी नागरिक जिले के बाहर के रहते हैं.

    विदर्भ में आक्सीजन की आपूर्ति का बना केंद्र

    देश में सभी ओर आक्सीजन की किल्लत हो गई है. ऐसे में आक्सीजन के संदर्भ में भी जिला स्वयंपूर्ण हो गया है. देवली एमआइडीसी में स्थित आदित्य एयर प्राडक्ट व महालक्ष्मी स्टील कंपनी से प्रतिदिन 2 हजार सिलेंडर की आपूर्ति विदर्भ के अनेक जिलों को की जाती है, जिससे अनेक मरीजों की जान बचाने का कार्य भी वर्धा से किया जा रहा है.

    रेमडेसिविर का उत्पादन का बना प्रमुख स्थान 

    कोरोना के इलाज में कारगर साबित हुए रेमडेसिविर का उत्पादन भी वर्धा में शुरू हुआ है. बिते तीन सप्ताह से विदर्भ के साथ राज्य के अन्य जिलों को वर्धा से रेमडेसिविर की आपूर्ति की जा रही है. ब्लैक फंगस के उपचार के लिये जरूरी एम्फोटेरिसीन इंजेक्शन की कमी को देखते हुए रेमडेसिविर के साथ इसका उत्पादन भी वर्धा में करने की अनुमति मिली है. जेनेटिक लाइफ साइन्स कंपनी में दोनों इंजेक्शन का निर्माण आरंभ हुआ है. कोरोना संक्रमण को रोकने के लिये सभी महत्वपूर्ण सेवाएं वर्धा से उपलब्ध हो रही है. परिणामवश वर्धा जिला मेडिकल सुविधा में सक्षम होकर हब के रूप में उभरकर सामने आया है. भविष्य में वर्धा मेडिकल सुविधा के संदर्भ में और सक्षम हो सकता है.