वर्धा. कोरोना को लेकर समाज में डर का माहौल बना हुआ है. परंतु सालोड निवासी वृद्धा ने ऐसा तरीका अपनाया की कोरोना को उसने मात दे दी. आज वृद्धा अपने आत्मविश्वास व उपचार से एकदम तंदुरूस्त है. कोरोना को लेकर अनेक अलग अलग दावे कर रहे है. ऐसा कहां जाता है. परंतु वृद्धा ने एलोपैथी दवाई के साथ प्राचीन तरीका अपनाया. खाने के पान, निम के पत्तों का रस व अद्रक का काढा सेवन से इलाज कर कोरोना पर मात की़. सालोड निवासी रुखमा विठ्ठल तेलरांधे (87) का परिवार खेती करता है. गाव में छोटासा उनका मकान है.
दरमियान रूखमा बुखार व अन्य तकलिफे शुरू होने से उसकी आरटीपीसीआर जांच की गई. उसकी रिपोर्ट पाजीटिव आयी. छोटासा घर होने के कारण क्वारंटाईन रखने में दिक्कत आने से उसके पोते दिलीप ने वर्धा के आयटीआय टेकडी पर स्थित कोरोना सेंटर में उसे लाया.
लेकिन वृद्धा ने यहां रहने से इंकार कर घर में ही अंतिम सांसे लुंगी मुझे दवाखाने में नही रहना है. ऐसा बोलकर उसने वहां रहने से इंकार किया. दादी की बात पोते ने मान्य कर उसकी गांव में ही क्वारंटाईन रखने की व्यवस्था की. पश्चात दादी ने प्राचीन मरीको का अवलंब कर इलाज शुरू किया.
शरीर गर्म रखने के लिए उन्होंने पान का निरंतर सेवन, अद्रक, कडूनिंब के पत्तों के रस सेवन आरंभ किया. रुखमाबाई दिनभर में करीब 10 से 15 पान खाती थी तथा दिन में तीन बार अद्रक व निंब का काढा पिती थी. जिससे अब वह एकदम स्वस्थ्य हो गई है़ 87 वर्षीय रुखमाबाई अब घर के पास बैठकर लोगों का आत्मविश्वास बढाने का काम करती है.