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    वर्धा.  कोरोना महामारी के काल में आशा व गुटपवर्तकों ने किया कार्य सराहनीय है़  केंद्र व राज्य सरकार की सूचना के अनुसार उन्हें दी गई जिम्मेदारी समय में पूर्ण की है़, लेकिन आशा व गुटप्रवर्तकों को मिलने वाला मानधन कम है़  इतना ही नहीं तो उन्हें मिलने वाले वेतन में राज्य सरकार कटौती कर रही है, यह पूर्णत: गलत है़  आशा व गुटप्रवर्तकों द्वारा राज्य सरकार की मांगे मान्य करने के लिए हड़ताल शुरू की है़  उनकी राज्य सरकार ने मांगे तत्काल पूर्ण करनी चाहिए़  उनकी समस्या का मुद्दा लोकसभा में रखकर उसका निराकरण करने का आश्वासन सांसद रामदास तड़स ने दिया है.

    रविवार को आशा गुटप्रवर्तकों की केंद्र सरकार के पास प्रलंबित मांगों के लिए आयटक संलग्नित आशा गुटप्रवर्तक जिला संगठन की ओर से राज्य उपाध्यक्ष दिलीप उटाणे, सचिव सुजाता भगत, शबाना शेख, प्रतिभा वाघमारे, वीणा पाटिल, ज्योत्स्ना राऊत, अरुणा खैरकार, रेखा तेलतुंबडे, प्रमिला वानखेड़े के नेतृत्व में सांसद तड़स को विभिन्न प्रलंबित मांगों का ज्ञापन सौंपा गया़  इस प्रसंग पर माधुरी गलांडे, शारदा जोगवे, प्रमिला वानखेड़े, अरुणा खैरकार, ज्योति वाघमारे, मीना लोणकर, मंजू शेंडे, जयश्री, सविता वाघ, माधुरी गलांडे, अपर्णा माटे, संगीता निजे, नंदा महाकालकर, चिंधु खड़से, सुलोचना पाचे, वैशाली सोनटक्के, शालिनी थूल, कांता करपती आदि बड़ी संख्या में आशा वर्कर व गुटप्रवर्तक उपस्थित थे.  

    प्रमुख मांगों की ओर खींचा ध्यान 

    केंद्र सरकार की ओर से कोरोना काल में मिलने वाला भत्ता प्रतिदिन 35 रुपए है़  कर्मचारियों को मास्क, सैनिटाइजर व संबंधित सभी सुरक्षात्मक सामग्री उपलब्ध करें. आशा व उनके परिजनों की जिम्मेदारी सरकार नहीं लेती़  आशा व उनके परिजनों को बीमा कवच उपलब्ध करने, कोरोना कार्य का 18 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन दिया जाने, गुटप्रवर्तक की नियुक्ति करते समय 11 महीने का कांटैक्ट करने सहित आदि मांगे की गई है.