वर्धा. कोरोना संक्रमण के फैलाव के चलते 30 अप्रैल तक सरकार ने मिनी लाकडाउन लागू किया है़ उपरांत जिला प्रशासन ने जारी किए आदेश पर बुधवार से अमल होते दिखाई दिया़ इस मिनी लाकडाउन के तहत शहर की अत्यावश्यक सेवाओं को छोड़कर अन्य दूकाने बंद थी़ फिर भी बाजार परिसर समेत विभिन्न रास्तों पर लोगों की भीड़ उमड़ी रही. इस दौरान प्रशासन भी उतनी सख्ती से पेश नहीं आने के कारण लोग कड़े निर्बंधों को नहीं मान रहे थे़ सर्वत्र कोरोना नियमों की धज्जियां उड़ती दिखाई दे रही थी.
वैसे मिनी लाकडाउन पर अमल मंगलवार से ही होने वाला था, लेकिन व्यापारियों ने इसे अन्यायपूर्वक बताते हुए विरोध जताया. इसके बाद प्रशासन ने एक दिन की मोहलत देते हुए बुधवार से दूकानें बंद रखने का आह्वान किया था. इसे शत प्रतिशत प्रतिसाद मिलने के बावजूद भी बाजार में भीड़ उमड़ी थी़ लोग खरीदारी के साथ ही बैंक, सरकारी एवं निजी कार्यालयों में अपने काम के लिए निकलते हुए दिखाई दिए, जिससे शहर की सड़कों पर दिनभर भीड़ दिखाई दी.
भीड़ पर नहीं था नियंत्रण
इसके पहले सप्ताह में 1 दिन के लाकडाउन के साथ ही विभिन्न निर्बंध लागू थे़ फिर भी कोरोना फैलाव रोकने सरकार एवं प्रशासन ने मिनी लाकडाउन लगाया है. इसके तहत केवल अत्यावश्यक सेवाओं को छूट दी जाने के कारण प्रशासन अन्य दूकाने बंद करवाने में प्रशासन तत्पर दिखाई दिया. वहीं रास्ते, बाजार एवं अन्य दूकानों में उमड़ी भीड़ नियंत्रित करने में उनकी तत्परता नहीं दिखाई दी.
सरकारी कार्यालयों में भीड़
विभिन्न सरकारी कार्यालय एवं बैंक में लोगों की भीड़ दिखाई दी़ इस दौरान स्वयं सरकारी कर्मचारी भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते नहीं दिखाई दिए. कार्यालयों में प्रवेश के दौरान थर्मल स्क्रीनिंग भी नहीं की जा रही थी़ साथ ही सैनिटाइजर का अभाव दिखाई दिया, जिससे यहां कोरोना का फैलाव नहीं हो रहा क्या, यह सवाल उपस्थित हो रहा था.
लाकडाउन भेदभावपूर्ण होने का आरोप
शहर में सोशल डिस्टेसिंग तथा मास्क लगाने जैसे कोरोना नियमों के पालन के लिए प्रशासन तत्पर नहीं दिखा. इससे सर्वत्र भीड़ के कारण मिनी लाकडाउन का उद्देश्य सफल होते नहीं दिखाई दिया़ परिणामस्वरूप मिनी लाकडाउन के तहत केवल कुछ ही व्यवसायियों को निशाना बनाए जाने का आरोप लगते दिखाई दे रहा है.