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वर्धा. निरंतर बारीश के चलते फुलों की खेती एक और बर्बाद हुई तो दुसरी और नवरात्रि के त्यौहार पर अनेक पाबंदियां व मंदिर बंद होने के कारण फुलों की मांग कम होने से किसान व फुल विक्रेतायों पर दोहरा संकट आया है.

प्रतिवर्ष नवरात्रि के दौरान फुलों की मांग बढ जाती है. जिससे किसान व फुल विक्रेतायों को बडा लाभ होता है. किंतु इस वर्ष कोरोना संक्रमन के कारण फुलों की खेती शुरू से ही संकट से घिरी है. सरकार व्दारा मंदिर बंद रखे जाने का परिणाम भी फुलों की खेती पर गत सात माह से हुआ है. जिससे फुल उत्पादक किसानों को नुकसान सहना पडा था. नवरात्रि के दरमियान फुलों को अच्छे दाम मिलेंगे व मंदिर भी खुल जायेंगे, ऐसी आस फुल विक्रेता व किसानों ने लगाई थी. किंतु नवरात्रि में सरकारने मंदिरों का ताला भक्तों के लिये बंद ही रखा. वर्धा शहर व जिलें में दुर्गात्सव बडे धुमधाम से मनाया जाता है. परंतु सरकार ने दुर्गा की प्रतिष्ठापना को लेकर अनेक नियम बनाये जिससे इस वर्ष जिलें अधिकांश मंडलों ने स्थापना नही की. जिन मंडलों ने स्थापना की उन्होंने तामझाम को दूर रखा है. नतिजन उसका असर फुलों पर पडा है. मंदिर बंद व कम स्थापना होने के कारण फुलों की मांग में कमी आयी है. जिससे किसान व फुल विक्रेता दोनों को नुकसान सहना पडा रहा है. एक और निरंतर बारीश के कारण फुलों की खेती का बडा नुकसान हुआ है. ऐसे में दाम बढने की उम्मीद थी. किंतु ऐसा नहीं हुआ.

बारीश से फुलों का नुकसान

इस वर्ष निरंतर बारीश होने के कारण उसका असर फुलों की खेती पर हुआ है. गत सप्ताह भर से जारी बारीश के कारण फुलों के साथ कलियां खराब होने से बडा नुकसान हुआ.

-राजू लोखंडे, किसान, नागठाना

सरकार दे आर्थिक सहायता

बारीश व मंदिर बंद होने का असर फुलों की खेती पर हुआ. बारीश के कारण खेती बर्बाद हुई है. मार्च माह से निरंतर घाटा सहना पड रहा है. सरकार ने फुल उत्पादक किसान को आर्थिक सहायता देनी चाहिए.

– संदीप अंबुलकर, किसान वरूड

फुल व हार की मांग नही रही

मंदिर बंद व नवरात्रि पर अनेक पाबंदियां होने के कारण फुल व हारों को मांग नही रही.बारीश के कारण फुल खेती का नुकसान हुआ है.नवरात्रि में फुलों को अधिक मांग रहती है.जिससे दाम भी अच्छे मिलते है.किंतु इस बार ऐसा नही हुआ है.झेंडू 30 से 40 रूपये किलों व शेवंती 100 से 200 किलों तक मिल रही है.गत वर्ष की तुलना इस बार दाम नही मिल रहे.

-मोहन घोडे, हार-फुल विक्रेता