– जगदिश कुर्डा
कारंजा-घा. इस बार खरीफ मौसम को लेकर किसानों को काफी उम्मीद थी़ परंतु फिर एक बार प्रकृति के प्रकोप के आगे किसान बेबस दिखाई दे रहा है़ अत्याधिक बारिश के कारण सोयाबीन, कपास, फल व सब्जी फसलों का भारी नुकसान होने से किसानों की चिंता बढ गई है़ लागत खर्च न निकलने से फिर एक बार जिले का किसान आर्थिक अडचण में आ गया है़
प्रतिवर्ष किसान प्राकृतिक आपदा का सामना करते आ रहा है़ इसके अलावा अन्य समस्याए भी उन्हें झेलनी पड रही है़ कभी फसलों पर इल्लिया, बिमारी का प्रकोप़ तो कभी वन्यजिओं से फसले बचाने का आवाहन, सरकारी की गलत नीति एवं कृषि उपज को उचित दाम न मिलना़ आदि समस्या किसानों के लिए खत्म होने का नाम नहीं ले रही़ इस वर्ष जिले में सोयाबीन का बुआई क्षेत्र अधिक रहा़ खर्च कम लगने से किसान ने सोयाबीन पर अधिक जोर दिया़ परंतू अगस्त माह में मौसम में हो रहे बदलाव, फर्जी बिज के चलते सोयाबीन की फसल ने धोका दे दिया़ वर्तमान स्थिति में 80 फिसदी क्षेत्र में सोयाबीन की फसल नष्ट हो गई है़ अधिकांश ठिकाणों पर सोयाबीन के पौधों को फल्लिया ही नहीं लगी़ बचिकुची कसर लौटती बारिश ने पुरी कर दी़ फसल पिली गिरने से लागत खर्च भी निकलना नामुमकीन हो गया है़ परिणामवश किसान पुर्णत: हताश हो गया है़ केवल सरकारी मदद ही किसानों को इस संकट से राहत दे सकती है़ परंतु प्रशासनिक स्तर पर सर्वे में हो रही लापरवाही किसानों के लिए मुसिबत का कारण बनी हुई है़
कपास की फसल भी हाथ से गई
अगस्त माह तक कपास की फसल अच्छी बताई जा रही थी़ परंतु सितम्बर में लगातार चल रही बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर दिया है़ दिन में धूप खिलने के बाद दोपहर के बाद जोरदार बारिश हो रही है़ गत पखवाडे से यह सिलसिला शुरु है़ इससे पौधो को लगे फसल गल रहे है़ सोयाबीन के साथ साथ कपास की फसल भी नष्ट होने से किसान अधिक गहरे संकट में घिर गया है़ किसानों को इस संकट से निजात दिलाने की मांग हो रही है़