- पहचानपत्र दिखाने पर दिया जा रहा जिले में प्रवेश, कोरोना संक्रमण का खतरा बढा, प्रशासन की अनदेखी
वर्धा. अनलॉक 1 में राज्य सरकार सहित प्रशासन ने काफी रियायते दी है. लेकिन इस आजादी का गलत फायदा उठाया जा रहा है. अनेक शासकीय कर्मी, शिक्षक प्रतिदिन दूसरे जिले से अपडाऊन करने की बात सामने आयी है. इन कर्मियों को जिले की सीमा पर पहचान पत्र दिखाते ही आराम से छोडा जाता है. जिससे कोरोना संक्रमण का खतरा बढ गया है. एक ओर प्रशासन सामान्य नागरिक व व्यवसायियों पर कडे नियम लगा रही है, लेकिन वही दूसरी ओर शासकीय कर्मियों की ओर हो रही अनदेखी समझ से परे है.
अनलॉक में सरकार व राज्य सरकार ने काफी आजादी दी है. शासकीय व निजी कार्यालय शुरु किए गए है. जिले के अनेक सरकारी कार्यालय, बैंक के कर्मी, शिक्षक व प्राध्यापक अन्य जिलों से प्रतिदिन अपने कर्तव्य पर आ रहे है. एक और सरकार ने मुख्यालय में रहने की सख्ती की है. किंतु कर्मी,प्राध्यापक व शिक्षक इन नियमों की धज्जीया उडा रहे है. बेखौफ होकर दूसरे जिले से अपडाऊन कर रहे है. जिले के अनेक स्कूलों के शिक्षक व वरिष्ठ महाविदयालयों के प्राध्यापक प्रतिदिन नागपुर, यवतमाल, अमरावती व चंद्रपुर से आवागनन करने की बात सामने आयी है. मामला यहा तक पहुंच गया है कि, चेक पोस्ट पर पहचान पत्र दिखाने के बाद उन्हे आराम से छोडा जा रहा है. जिससे कोरोना संक्रमन का खतरा बढ गया है. तहसील स्तर पर काम करनेवाले स्कूल, कॉलेज व सरकार विभाग के कर्मी बडे पैमाने में अन्य जिलों से आवागमन करते है. आर्वी, आष्टी, कारंजा, सेलू, सिंदी, समुद्रपुर, हिंगनघाट, पुलगाव, देवली में कार्यरत प्राध्यापक, शिक्षक व कर्मी मुख्यालय में न रहते हुये अन्य जिलों से रोज आते है. वे दिनभर अनेकों के संपर्क में आते है. किंतु प्रशासन इस और ध्यान नही दे रहा है. इसके अलावा अन्य विभाग के शासकीय कर्मी भी अपडाऊन ही कर रहे है. कर्तव्य पर आने के बाद यह कर्मी सभी से सामान्य तौर पर घुलते-मिलते है, जैसे सबकुछ सामान्य हो. जिससे अब जिले में कोरोना संक्रमण बढने की संभावना बढ गई है. गत तीन दिनों से रोज संक्रमित मिल रहे है.लेकिन इसके बावजूद भी प्रशासन इस ओर ध्यान नही दे रहा है.
प्रशासन अपना रही दोगली नीति
प्रशासन शासकीय कर्मी व जनता को लेकर दोगली नीति अपना रही है. एक ओर सामान्य जनता पर कडे नियम लादे जा रहे है. बाहरी जिले से आनेवालों के लिए 14 दिन क्वांरटाईन रहना अनिवार्य किया है. जिसमें सात दिन संस्थात्मक व 7 दिन होम क्वारंटाईन किया जाता है. लेकिन उसके विपरित नागपुर, अमरावती, यवतमाल जिले से आवागमन करनेवाले शासकीय कर्मियों को अपडाऊन की छूट दी गई है. यह कर्मी प्रतिदिन कोरोना का विस्फोट होनेवाले जिले से आवागमन कर बेखौफ सभी में घुल-मिर रहे है. जिससे प्रशासन की इस दोगुली नीति पर रोष व्यक्त किया जा रहा है.
संक्रमण का खतरा बडा
प्रशासन द्वारा सभी शासकीय कर्मियों को मुख्यालय में रहने की सख्ती की गई है. लेकिन इसके बावजूद भी अनेक कर्मी अपडाऊन करते है. परिणाम स्वरुप अब जिले में कोरोना संक्रमण का खतरा बढ गया है. जिले में कोरोना संक्रमित मिलनेवाले अधिकतर मरीज दूसरे जिले के है. ऐसे में अब अपडाऊन करनेवाले कर्मियों ने शहरवासियों की जान खतरे में डाल दी है.