शराब सेवन करनेवालों की संख्या में भारी वृद्धि, ग्रामीण में दो वर्षों में दुगना नशेड़ियों का ग्राफ

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    आसेगांव. बीते दो वर्षों में ग्रामीण इलाकों में शराब का सेवन करनेवालों की संख्या में बड़े पैमाने पर वृद्धि होने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. जितनी बड़ी मात्रा में शराबियों के आंकड़े बड़े है़ उससे यही बात सामने आने लगी है कि अब ग्रामीण इलाकों में हर दस में से चार लोग शराब का सेवन आए दिन करने लगे है. आखिर एका एक इतनी बड़ी मात्रा में शराबियों का आंकड़ा कैसे बढ़ने लगा इस पर भी विचार करने की सभी को आवश्यकता निर्माण हो रही है़  क्योंकि जिस तरह से कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए जिला प्रशासन समेत राज्य सरकार ने एक्टिव रहने की भूमिका निभाई थी.

    उसी प्रकार से राज्य व अपने अपने जिलों से शराबियों का ग्राफ कैसे कम किया जाए इस पर भी मंथन करने की आवश्यकता है. इस जनजागृति की वजह यह भी है कि शराब सेवन करनेवालों में से अधिकांश लोग हर वर्ष मौत को गले लगाने लगे है. नशा करने के बाद विविध प्रकार की संक्रमण वाली बीमारियों की भेंट चढ़कर अनेक लोग अपनी जान गवांकर परिवार को अंधकार की ओर धकेलने का कार्य करने लगे है. लेकिन इस के लिए सर्व प्रथम ग्रामीण इलाकों में बिकने वाली अवैध देसी व अवैध तरीके से बेची जा रही विदेशी शराब बिक्री करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की गाज गिरनी चाहिए.

    उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020 से पूर्व में विशेषकर ग्रामीण इलाकों में नशेड़ियों की तादाद का ग्राफ कम रहने की बात सामने आई थी. उस समय छोटी सी छोटी जन संख्या वाले ग्रामों में भी 10 से लेकर 50 लोगों के आंकड़े शराबियों की श्रेणी में आते थे. लेकिन वर्तमान में प्रत्येक गांव में शराब का सेवन करने वालों के आंकड़ों में भारी और बड़ा उछाल देखने को मिल रहा है. गांव दर गांव भी यदि आंकड़ों की बारीकी से जांच की जाए तो हर गांव में 100 से अधिकतर लोग शराब का सेवन करने की आशंका जतायी जा रही है़ 

    इन नशेड़ियों में सबसे अधिक ग्राफ में बढ़ोत्तरी करने वालों में युवा पीढ़ी रहने का अनुमान है. 20 वर्ष से अधिक आयु वाले युवाओं से लेकर 35 वर्ष के आयु गुट वालों की संख्या शराबियों में अधिक रहने का आमजनो व्दारा बताया जा रहा है. वहीं शराब सेवन कर अपने परिवारों को बर्बाद करने के मामलों में भी बे तहाशा वृद्धि होने की संभावना निर्माण हो रही है. जिससे ग्रामीण इलाकों में नशा मुक्ति अभियान चलाकर नशे की लत की भेंट चढ़ने वालों को बर्बाद होने से बचाने की आवश्यकता निर्माण हो गई है़   

    कुछ नशेड़ियों के होने लगे परिवार बर्बाद 

    शराब का सेवन कर मन की शांति करने वाले कुछ ऐसे नशेड़ी भी है. जिनके परिवार शराब की लत से बर्बाद होने की कगार पर पहुंचने लगे है. जिनके बीवी बच्चे उन्हें शराब की आदतों के कारण छोड़ कर चलें गए और शराबी खुद बे घर हो गए. ऐसे लोगों को नशे की लत से बचाने का कार्य कार्रवाईयों को अंजाम देकर ही किया जा सकता है.