- स्थलांतरित कुछ बच्चे लौटे ही नही
वाशिम. इस बार कोरोना महामारी के कारण अध्ययन, अध्यापन प्रक्रिया प्रभावित हुई है़ कोरोना महामारी से कामगार, मजदूर यह अपने अपने गांव चले गए़ जिसमें से कुछ पालकों ने स्वयं के जिले में पाल्यों के स्कूल में प्रवेश लिए है, तो कुछ पालकों ने अपने पाल्यों को निजी स्कूलों में प्रवेश देना पसंद किया़ जिससे पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष पहली से दसवीं तक के छात्रों में 765 विद्यार्थी कम हुए है़ जिले में जिला परिषद की करीब 779 शालाएं है़.
जिला परिषद शालाओं में पर्याप्त प्रमाण में भौतिक सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्राथमिकता दी जा रही है़ विविध उपक्रम चलाकर शैक्षिक दर्जा सुधारने का प्रयास किया जा रहा है़ उधर कुछ शालाओं में भौतिक सुविधा उपलब्ध कराने के लिए अभी और अधिक अवसर है़ पिछले वर्ष जिला परिषद के पहली से दसवीं के कुल पटसंख्या 65,423 थी़ इस वर्ष यह संख्या 765 ने कम होकर 64,658 हो गई है़.
कोरोना महामारी के कारण मजदूर, कामगार वापस उनके घर गए और इसमें से कुछ वापस भी नही लौटे़ जिससे यह संख्या कम हो गई है़ इस दौरान कामगार, मजदूर अपने मूल गांव गए है, वह लौटने के बाद यह संख्या पूर्ववत होने की संभावना बताई जा रही है़ जिले में पहली कक्षा के लिए 9,951, दूसरी के लिए 10,790, तीसरी के लिए 11,208, चौथी के लिए 11,900, पांचवी के लिए 7,100, छटवी के लिए 5,824, सातवी के लिए 5,500, आठवी के लिए 1,150, नौवीं के लिए 527 तथा दसवीं के लिए 608 विद्यार्थी अभी है़.
इस के संबंध में शिक्षा अधिकारी अंबादास मानकर ने बताया कि जिले में जिला परिषद शालाओं में पर्याप्त प्रमाण में भौतिक सुविधा उपलब्ध की जा रही है़ विविध उपक्रम भी चलाएं जा रहे है, लेकिन इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण कुछ लोग अपने गांव जाने से पटसंख्या कुछ कम हुई है़.