Shakuntala

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    वाशिम. विदर्भ के सफेद सोना (कपास) ले जाने के लिए ब्रिटिश सरकार ने 1913 में शकुंतला रेल की निर्मिति की थी. गरीबो का रथ के रुप में पहचान वाली यह शकुंतला एक्सप्रेस ट्रेन का मीटर गेज से ब्रॉडगेज में परिवर्तन हो. इस मांग को लेकर रेल मंत्री की ओर सांसद भावना गवली ने वर्ष 2006-2007 से पहल शुरू की थी़.

    इस नियमित पहल से यवतमाल से मध्य रेल के मूर्तिजापुर स्टेशन को जोड़नेवाले 113 किलोमीटर की दूरी रहनेवाली इस रेल मार्ग के चौड़ाईकरण के लिए पूर्व रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने 2,147.44 करोड़ इस मीटर गेज रेल मार्ग का ब्रॉडगेज में परिवर्तन करने के लिए मंजूर किए थे़.

    वर्ष 1913 से आज भी ब्रिटिश की निक्सन कंपनी की मालकी हक शकुंतला रेल पर रहने से समस्या निर्माण हो गई़ सांसद भावना गवली ने रेल मंत्री को व रेल बोर्ड के अधिकारियों से बार बार भेंट कर शकुंतला रेल की अंग्रेजों की ब्रिटिश कंपनी की निक्सन कंपनी की मालकी हक निकालने के लिए तीन पर्याय दिए थे़.

    इस में मंत्री महोदय ने निक्सन कंपनी से आर्थिक समझोते में दिए गए ऑफर ज्यादा रहने से उस पर निर्णय नही लिया गया था़ सांसद भावना गवली शकुंतला रेल का विषय निर्णायित करने के लिए उसके पीछे नियमित पहल कर रही थी.

    जिससे रेल मंत्री पीयूष गोयल से भेंट कर निक्सन कंपनी के मांग का एकत्रित समझौता करके शकुंतला ट्रेन का प्रश्‍न निर्णायित करने के लिए चर्चा की़ रेल मंत्रालय ने इस बार 2,147.44 करोड़ रुपयों का प्रावधान किया. इस रेल ब्रॉडगेज के लिए कही पर की भूमि अधिग्रहित करने की आवश्यकता नही है. निक्सन कंपनी की मालकी हक इस मार्ग से हटाना केवल एक दिन का काम है़ ऐसा बताने पर रेल मंत्री महोदय ने सकारात्मकता बतायी है.