school
प्रतीकात्मक तस्वीर

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    मालेगांव. कोरोना के कहर से स्कूली छात्रों को बचाने तथा उनकी सुरक्षा की दृष्टि से सरकार ने राज्य के सभी कॉन्वेंट व अन्य स्कूल बंद रखने का निर्णय लिया. तथा स्कूलों को आनलाइन शिक्षण लेने की अनुमति दी गई है. गत एक डेढ़ साल से स्कूल बस के पहिए थमने से चालक तथा मालिकों पर भुखमरी की नौबत आई है. कोरोना का कहर अंशतः कम हो गया है. इसे में कुछ शर्तो पर सरकार ने व्यवसाय शुरू करने की इजाजत दी है. लेकिन छात्रों की सुरक्षा को देखते सभी तक स्कूल शुरू करने का फैसला नही लिया गया है. स्कूल छोड़कर लगभग सभी व्यवसाय शुरू हुए है.

    तीसरी लहर का अनुमान लगाए जाने से स्कूल तथा कॉन्वेंट शुरू करने के बारे में अभी तक कोई निर्णय नही लिया गया है. रोजगार बंद गिरने से परिवार का जीवनयापन कैसे चलाए, यह समस्या स्कूल बस चालक एवं मालिकों को सता रही है. अनेक बेरोजगार युवकों ने फायनांस कंपनियों से कर्ज लेकर वाहन खरीदे है. अब साल भर से जगह पर पड़ी स्कूल बसें धीरे-धीरे कबाड़ में परिवर्तित हो रही है.

    इन वाहनों की बैटरी, टायर खराब हो गए है. कमाई बंद रहने से बैंक के कर्ज की किश्तें, बीमा तथा रोड टैक्स कहा से भरें, ऐसा सवाल खड़ा हुआ है. महाराष्ट्र में सभी तरफ एसटी तथा निजी ट्रैवल्स की यात्री सेवा शुरू है. और महामंड़ल की बसें माल ढुलाई कर रही है. एसटी को पुरी क्षमता के साथ यात्री करने की इजाजत दी जाती है. फिर स्कूल बस चालकों को यात्रियों को बिठाने की अनुमति क्यों नही दी जाती. ऐसे स्कूल वाहन धारकों को राहत दिलाने वाला निर्णय सरकार क्यों नही ले रही है? ऐसा सवाल स्कूल बस चालक-मालिक कर रहे है.