ट्रैफिक सिग्नल की प्रतीक्षावाशिम वासीयो को ट्रँफीक सग्निल की प्रतक्षिा ज

वाशिम. शहर की यातायात नियंत्रित करने के लिए शहर के प्रमुख चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल लगाने की मांग विगत दो दशक से भी अधिक समय से हो रही है़ लेकिन प्रशासन की उदासीनता के कारण शहर में सिग्नल नहीं लगाए

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वाशिम. शहर की यातायात नियंत्रित करने के लिए शहर के प्रमुख चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल लगाने की मांग विगत दो दशक से भी अधिक समय से हो रही है़ लेकिन प्रशासन की उदासीनता के कारण शहर में सिग्नल नहीं लगाए जाने से शहर के अनेक चौराहों पर ट्रैफिक जाम की स्थिति व सदैव दुर्घटना की संभावना बनी रहती है़ वाशिम के नागरिकों की मांग के अनुसार 1 जुलाई 1997 में वाशिम को जिला बनाया गया़ जिला बनने के बाद अभी तक शहर में अनेक जिलास्तरीय कार्यालयों के साथ अन्य व्यवसायों में वृद्धि हुई है़ इसके अनुरुप ही शहर में आबादी व वाहनों की संख्या में भी वृध्दि हो गई है़.

इन दिनों शहर के अनेक चौराहों पर यातायात जटिल हो रही है़ इसमें अकोला नाका, पुसद नाका, हिंगोली नाका यह इंदौर – हैदराबाद मार्ग होने से इस मार्ग पर भारी वाहनों की यातायात सतत व्यस्त रहती है़ इसी में शहर से रेलवे स्टेशन जाने के लिए हिंगोली नाका के वाशिम -हैदराबाद महामार्ग से क्रास करके आना जाना पड़ता है़ तो अकोला नाका से काटा रोड पर रहने वाले शासकीय कार्यालय, महाविद्यालय में जाने आने के लिए महामार्ग पार करके जाना पड़ता है़ यह स्थिति पुसद नाका पर भी रहती है़

बनी रहती है दुर्घटना की संभावना
इन मार्गों से आवागमन करते समय आमजनों को बड़ी कसरत करनी पड़ती है़ इन चौराहों पर सिग्नल नहीं होने से सभी वाहन एक साथ आवागमन करते है़ व चौराहे के बीच में ट्रैफिक जाम हो जाती है. जिससे इन चौराहों पर दुर्घटना होने की संभावना रहती है़ इसी प्रकार से शहर मुख्यालय के सतत भीड़वाड़ वाले पाटणी चौक, डा़ बाबासाहब आंबेडकर चौक, पुलिस स्टेशन चौक, देशमुख काम्लेक्स चौक से डा़ दागडिया हास्पिटल जानेवाला चौक, बालु चौक आदि चौराहों पर तुरंत सिग्नल लगाने की मांग नागरिकों को व्दारा की जा रही है़