वाशिम को दिलाएं पर्यटन स्थल का दर्जा

6 तहसीलें व 3 विस क्षेत्रों के प्रतिनिधि लें संज्ञान वाशिम. विकास में पिछड़े वाशिम जिले में विकास की अनेक समस्याएं ज्यों की त्यों ही बनी हुई है. विकास की गति बढ़ाने के लिए प्रयासों की दरका

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  • 6 तहसीलें व 3 विस क्षेत्रों के प्रतिनिधि लें संज्ञान

वाशिम. विकास में पिछड़े वाशिम जिले में विकास की अनेक समस्याएं ज्यों की त्यों ही बनी हुई है. विकास की गति बढ़ाने के लिए प्रयासों की दरका है. 1 जुलाई 1998 को वाशिम को जिले का दर्जा मिला. शुरू में जिले के विकास की गति ठीक थी लेकिन पिछले कुछ बरसों से समस्याएं सुलझाने का सिलसिला ही बंद हो गया है. वाशिम को जिला बने 19 वर्ष पूरे हो चुके हैं. इसके बावजूद जिला आज भी विकास को तरस रहा है़ जिले की 6 तहसीलों में वाशिम- मंगरुलपीर, कारंजा-मानोरा व रिसोड़-मालेगांव विधान सभा क्षेत्र का समावेश है. इनमें से कारंजा-मानोरा व वाशिम -मंगरुलपीर सीट पर भाजपा के विधायक राजेंद्र पाटणी व लखन मलिक विजयी हुए हैं. जबकि रिसोड़-मालेगांव से कांग्रेस के अमित झनक विधायक हैं. इसके अलावा वाशिम लोकसभा क्षेत्र, यवतमाल और वाशिम जिलों का संयुक्त निर्वाचन क्षेत्र है़ यहां शिवसेना की भावना गवली सांसद हैं.

प्रसिद्ध मंदिरों का जिला
जिले में अतिप्राचीन बालाजी मंदिर, गोंदेश्वर मंदिर, बालाजी देव तलाब, पद्मतीर्थ,शिवजी के कई मंदिर जैसे पालेश्वर मंदिर, मध्यमेश्वर मंदिर, करुणेश्वर मंदिर काफी प्रसिध्द हैं. जैन समाज की प्राचीन लालदेव टेकडी मंदिर, 800 वर्ष पुराना अंबेझर पार्श्वनाथ दिंगबर जैन मंदिर के अलावा शहर में प्राकृतिक सुंदरता बिखरने वाले नारायणबाबा तालाब, माहुरवेस की सुंदरता देखते ही बनती थी.

वाशिम तहसील के काटा कोंडाला का महोदव मंदिर, मालेगांव तहसील का श्रीक्षेत्र डव्हा मंदिर, शिरपुर स्थित अंतरिक्ष पार्श्वनाथ दिंगबर जैन मंदिर को जैन समाज की काशी माना जाता है. मानोरा तहसील के अंर्तगत बंजारा समाज का पोहरादेवी मंदिर, कारंजा का नृसिंह सरस्वती मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है़ मंगरुलपीर का बिलबलनाथ महाराज मंदिर, तर्‍हाला में दादा हयात कलंदर की प्रसिध्द दरगाह है़ यहां पर दुनिया भर के हजारों-लाखों लोग दर्शन को आते हैं. यदि वाशिम जिले के पर्यटन क्षेत्र का विकास किया जाये तो जिले को पर्यटन स्थल का दर्जा प्राप्त हो सकता है.

हजारों लोगों को मिलेगा रोजगार
पर्यटन स्थल का दर्जा मिलने से जिले के हजारों लोगो रोजगार मिलेगा. वहीं पर्यटन से राजस्व वसूली में भी बढ़ोतरी हो सकती़ इसके लिए जनप्रतिनिधि की पहल व प्रशासन को समर्पण जरूरी है. जिले में प्रशासकीय इमारतें तो बहुत बनी है और बन रही है लेकिन मूलभूत सुविधाओं का अभाव है़ नगर परिषद की नई इमारत निर्माण अंतिम दौर में है. उप प्रादेशिक परिवहन कार्यालय की इमारत बन चुकी है. लेकिन इनमें मिलनेवाली सेवा अच्छी होनी चाहिए़ जनप्रतिनिधियों को जिले के विकास के लिए गुट या पार्टी का भेदभाव छोड़कर पहल करनी चाहिए़ यदि जिले को पर्यटन स्थल का दर्जा मिला तो इसका चहुंमुखी विकास होना तय है.