Pic Credit : Twitter
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    प्रत्येक वर्ष 8 मार्च (8 March) को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) के रूप में मनाया जाता है। हर साल अलग-अलग थीम पर यह दिन मनाया जाता है। इसके साथ लोग ऑफिस में, घरों में, सोशल मीडिया (Social Media) सहित कई जगहों पर महिलाओं को शुभकामनाएं देकर उनका सम्मान करते हैं। महिलाएं समाज में कई प्रकार की भूमिकाएं निभातीं हैं इसलिए उनको सम्मान देना भी हम सभी का फ़र्ज़ है। समाज में कई महिलाएं ऐसीं भी हैं जिन्होंने अपने अनोखे काम से लोगों को हैरान किया और अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा (Inspiration) बनीं। आज हम आपको ऐसी ही कुछ महिलाओं के बारे में आपको बताना चाहते हैं, जिन्होंने महिलाओं के हक के लिए एक अलग भूमिका (Role) निभाई है। 

    इस लड़ाई में अपनों ने भी छोड़ दिया था साथ 

     शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जिसने इशरत जहान (Ishrat Jahan) का नाम नहीं सुना होगा।  तीन तलाक (Tripple Talaq) के खिलाफ याचिका (Petition) करने वाली पांच महिलाओं में से एक इशरत जहां भी थीं। इस दौरान इशरत ने काफी मुश्किलों का सामना भी किया।  इशरत की शादी 14 साल की उम्र में हो गई थी। अपने चौथ बच्चे के जन्म के बाद इशरत का पति दुबई जाकर बस गया था और फिर इशरत को तीन तलाक दे दिया। तीन तलाक के खिलाफ लंबी लड़ाई (Long Fight Against Tripple Talaq) में इशरत का साथ उसके अपनों ने छोड़ दिया था, लेकिन इशरत ने हार नहीं मानी।  उनकी इसी कोशिश के कारण आज मुस्लिम महिलाओं को तीन तलक (Tripple Talaq) से छुटकारा मिल पाया है। 

    पति ने दुबई से फ़ोन पर ही दे दिया था तीन तलाक, 2016 में इशरत ने दर्ज की थी याचिका 

    पश्चिम बंगाल के हावड़ा की इशरत जहां ने अगस्त 2016 में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दायर की थी। 30 साल की इशरत ने अपनी याचिका (Petition) में कहा था उसके पति ने दुबई से ही फोन पर तलाक दे दिया। अपनी याचिका में इशरत ने कोर्ट में कहा कि उसका निकाह 2001 में हुआ था और उसके चार बच्चे भी हैं जो उसके पति ने जबरन (Forcefully) अपने पास रख लिए हैं। याचिका में इशरत ने बच्चों को वापस दिलाने और उसे पुलिस सुरक्षा दिलाने की मांग की थी। इशरत ने कहा था कि उसके पति ने दूसरी शादी कर ली है। याचिका में कहा गया था कि ट्रिपल तलाक गैरकानूनी (Illegal) है और मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का हनन है। 

    अगस्त 2017 में मिली कामयाबी, तीन तलाक का संशोधन हुआ पास 

    इशरत की याचिका के बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 22 अगस्त 2017 को पांच जजों की संवैधानिक पीठ (Constitutional Bench) में से तीन जजों ने ‘तलाक-ए बिद्दत’ यानी तीन तलाक (Tripple Talaq) को असंवैधानिक घोषित कर दिया था। इसके बाद केंद्र सरकार (Central Government) ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2017 लोकसभा में पेश किया और इसे बिना संशोधन के पास भी करवा लिया गया।