हांगकांग में नए सुरक्षा कानूनों को लेकर अमेरिका, चीन के बीच बढ़ी तनातनी

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संयुक्त राष्ट्र. हांगकांग पर अपना नियंत्रण कड़ा करने के लिए पेश किए गए चीन के विवादास्पद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लेकर अमेरिका द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाए जाने के बीच अमेरिका और चीन ने एक दूसरे पर तीखे प्रहार किए। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी मिशन ने बुधवार को कहा कि अमेरिका चीन की ‘‘नेशनल पीपल्स कांग्रेस के उन कदमों से बेहद चिंतित है जो 1984 के चीनी-ब्रितानी संयुक्त घोषणा पत्र के तहत हांगकांग को प्रदत्त अधिक स्वायत्तता एवं स्वतंत्रता को आधारभूत रूप से कमजोर करते हैं। यह घोषणा पत्र संयुक्त राष्ट्र में कानूनी रूप से बाध्य संधि के रूप में दर्ज है”। अमेरिका मिशन ने कहा, ‘‘यह वैश्विक चिंता का विषय है जो अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को खतरा पहुंचाता है और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को इस मामले पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।” अमेरिकी मिशन ने कहा, ‘‘इस प्रकार के कदम चीन द्वारा अंतरराष्ट्रीय दायित्वों की अवमानना और पूरी अवहेलना को दर्शाते हैं।”

उसने बताया कि अमेरिका ने हांगकांग की लोकतांत्रिक संस्थाओं एवं नागरिक स्वतंत्रता को खतरा पैदा करने वाले चीन के प्रस्तावित राष्ट्रीय सुरक्षा कानून पर चर्चा के लिए बधुवार को सुरक्षा परिषद की वर्चुअल बैठक बुलाई। अमेरिकी मिशन ने बुधवार को कहा कि अपेक्षा के अनुसार चीन ने सुरक्षा परिषद की इस वर्चुअल बैठक की प्रक्रिया को आने बढ़ाने की अनुमति नहीं दी। उसने कहा कि यह इस बात का एक और उदाहरण है कि ‘चीन की कम्युनिस्ट पार्टी’ पारदर्शिता और अपने कार्यों को लेकर अंतरराष्ट्रीय जवाबदेही से डरती है। संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत झांग जुन ने अमेरिका पर पलटवार करते हुए कहा कि अमेरिका सुरक्षा परिषद की बैठक में चीन के निराधार अनुरोध को सिरे से खारिज करता है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘हांगकांग के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी विधेयक चीन का पूरी तरह आंतरिक मामला है। इसका सुरक्षा परिषद के जनादेश से कोई लेना-देना नहीं है।”

चीनी दूत ने कहा, ‘‘तथ्य बार-बार यह साबित करते हैं कि अमेरिका दुनिया के लिए संकट पैदा करता है।” उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन किया है। चीन अमेरिका से अपील करता है कि वह ताकत दिखाने की राजनीति और धमकाने की आदत से तत्काल बाज आए।” उल्लेखनीय है कि चीन ने हांगकांग में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विवादित विधेयक का मसौदा गत शुक्रवार को अपनी संसद में पेश किया था। इसका मकसद पूर्व में ब्रिटेन के उपनिवेश रहे हांगकांग पर नियंत्रण और मजबूत करना है। उल्लेखनीय है कि एक जुलाई को 1997 में ब्रिटेन ने हांगकांग को ‘एक देश, दो विधान’ के समझौते के साथ चीन को सौंपा था। समझौते की वजह से चीन की मुख्य भूमि के मुकाबले हांगकांग के लोगों को अधिक स्वतंत्रता प्राप्त है। इस बीच, रूस ने चीन के समर्थन में बात की। संयुक्त राष्ट्र में रूप से प्रथम उप स्थायी प्रतिनिधि दमित्रि पोलियांस्की ने ट्वीट किया, ‘‘हांगकांग पर संयुक्त राष्ट्र की बैठक बुलाने का अमेरिका अनुरोध परिषद के जनादेश का दुरुपयोग और महज उकसावे की कार्रवाई को दर्शाता है।” उन्होंने कहा, ‘‘हम सदस्य देशों के आंतरिक मामलों पर कभी चर्चा नहीं करते। यह भानुमति का पिटारा खोलने की तरह है और इससे अमेरिका को स्वयं को नुकसान हो सकता है। हमारे साथी भी निश्चित ही यह बात समझते हैं।” (एजेंसी)