Collapse of major economies of the world due to Covid-19 epidemic
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फ्रैंकफर्ट (जर्मनी): दुनिया के बाजारों में रौनक लौटने लगी है। चीन में जर्मनी की लग्जरी कारें खरीदनें के लिये लोग वापस शोरूम में आने लगे हैं जबकि यूरोप में विनिर्माण गतिविधियां तेज हुई हैं। हालांकि वैश्विक अर्थव्यवस्था को अभी पूरी तरह से पटरी पर आने के लिये अमेरिका के कोरोना वायरस महामारी से पार पाने का इंतजार है और इस मामले में अभी संकेत बहुत हल्के हैं।

अमेरिका के शुरू में महामारी को सही तरीके से नहीं निपटने के कारण उसकी आर्थिक संभावनाओं को लेकर संदेह बढ़ रहा है। इसके कारण वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने को लेकर सार्वधिक जोखिम है। अमेरिका में गर्मियों के दौरान कुछ पाबंदियों के बाद कई राज्यों ने समय से पहले ही वायरस से पार पाने की घोषणा कर दी और अर्थव्यवस्थाओं को खोलना शुरू कर दिया। इससे कोविड-19 के मामले में बढ़ते चले गये। संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं और कई कंपनियों को कामकाज शुरू करने की योजना रद्द करनी पड़ी या छोटे स्तर पर वे काम करने को मजबूर हैं। वैसे तो अमेरिका का वैश्विक कारोबार पर वैसा दबदबा नहीं रहा जैसा कि 20 साल पहले हुआ करता था लेकिन अभी भी उसकी हिस्सेदारी काफी अधिक है।

विश्वबैंक के अनुसार कुल वैश्विक आर्थिक उत्पादन में उसकी हिस्सेदारी 22 प्रतिशत है जबकि चीन 14 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर है। इससे इटली की ओफिसीना डेल पोगियो जैसी कई कंपनियों के लिये मुश्किलें बढ़ गयी हैं जो अपने उत्पादन का बड़ा हिस्सा अमेरिका में बेचती हैं। ओफिसीना डेल पोगियो महंगे हैंडबैग बनाती है। कंपनी की मालिकिन एलिसन होल्तजेल साविनी ने कहा कि वसंत के दौरान खुदरा बिक्री बिल्कुल ठप हो गयी। कंपनी ने नई नियुक्तियां रोक दी है और बिक्री के लिये सामान्य तौर पर वह अमेरिका जाती रहती थी, वह सिलसिला थम गया है। कुछ ऐसी ही स्थिति शेनझेन आंग क्राउन इंडस्ट्रिलयल लि. की है जो बेसबॉल हैट बनाती है। कंपनी करीब 60 प्रतिशत उत्पादन अमेरिका को बेचती है।

कंपनी के महाप्रबंधक के वेंग ने कहा, ‘‘हम अमेरिकी बाजार को खोने को सहन हीं कर सकते…अन्य बाजार तलाशना कठिन है जो बड़ी मात्रा में उच्च गुणवत्ता के हैट को ले सके…हमारे पास अमेरिकी बाजार के अलावा कोई विकल्प नहीं है।” अमेरिका ने 1990 के दशक के दौरान एशियाई वित्तीय संकट के दौरान जिस तरीके से विश्व अर्थव्यवस्था को निकाला था, उसके लिये वैसा करना पाना अब संभव नहीं है।”

आईएस मार्किट के मुख्य अर्थशास्त्री नरीमन बेहरावेश ने कहा, ‘’अमेरिका अब पहले की तरह इंजन नहीं रहा। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में अप्रैल से जून के दौरान 32.9 प्रतिशत की गिरावट आयी। अमेरिका के यह अबतक की सबसे खराब तिमाही रही है। हालांकि दूसरी छमाही में आंकड़े बेहतर होंगे लेकिन अमेरिकी अर्थव्यवस्था 2020 की शुरूआत में जहां थी, उससे पीछे ही रहेगी। यूरोपीय संघ ने अमेरिका के मुकाबले संक्रमण पर प्रभावी तरीके से लगाम लगाया। वहां की अर्थव्यवस्था में भी उसी तेजी से गिरावट आयी है लेकिन अगले साल इसमें तीव्र गति से तेजी का अनुमान है। सरकार से कर्मचारियों को मिले समर्थन से बेरोजगारी पर काफी हद तक काबू पाया जा सका है।

इस बीच, चीन पहली बड़ी अर्थव्यवस्था है, जहां महामारी के बाद अप्रैल-जून में इससे पूर्व तिमाही के मुकाबले 3.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। बेहरावेश ने कहा कि अगर अमेरिका महामारी को नियंत्रित करने के लिये बेहतर तरीके से काम करता तो अर्थव्यवस्था तेजी से पटरी पर आती। (एजेंसी)