नई दिल्ली: अमेरिका (America) में एक स्कूल (School) में बच्चों को इलेक्ट्रिक शॉक (Electric Shock) दिए जाते हैं। इस खुलासे के बाद से अमेरिका के मैसाचुसेट्स का यह स्पेशल स्कूल काफी चर्चा में आ गया है। स्कूल की हरकत के सामने आने के बाद मामला यूएस के फेडरल कोर्ट तक जा पहुंच है। एक रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने मामले से किनारा करते हुए कहा है कि, इलेक्ट्रिक शॉक के इस्तेमाल से स्कूल को नहीं रोक सकते हैं।
बता दें कि, अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से कोर्ट ने कहा है कि, रोटनबर्ग एजुकेशन सेंटर स्कूल को ग्रजुएटिड इलेक्ट्रॉनिक डिसिलेरेटर (Graduated Electronic Decelerator) के इस्तेमाल नहीं रोका जा सकता है। क्योंकि यह एकमात्र अंतिम उपाय का उपचार है। बताया जा रहा है कि, इस स्कूल में बीते कई वर्षों से व्यवहार समायोजन के लिए स्पेशल बच्चों को इलेक्ट्रिक दिए जाते हैं।
इस मामले के तूल पकड़ने के बीच, एक बेहद चौंका देने वाला वीडियो सामने आया था। एफडीए ने साल 2016 में सबसे पहले इस बिजली का झटका देने वाले डिवाइस को बैन करने की मांग की थी। लेकिन इसके बावजूद अभी तक इस डिवाइस पर बैन नहीं लगा है।
वहीं रोटनबर्ग सेंटर का दावा है कि, वो प्रशासनिक मंजूरी के बाद ही बच्चों को इलेक्ट्रिक शॉक देते हैं। उनके माता-पिता और लोकल जज से इसको लेकर मंजूरी ली जाती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, इस ट्रीटमेंट के साथ बच्चे अपने परिवारवालों से मुलाकात कर पाते हैं और वो खुद को नुकसान नहीं पहुंचाते। वे गुस्सा भी कम करते हैं।