कैलिफोर्निया में दलित कर्मचारी से भेदभाव के आरोप में सिस्को पर मुकदमा

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न्यूयॉर्क. कैलिफोर्निया के नियामकों ने अमेरिकी कंपनी सिस्को सिस्टम्स पर मुकदमा करते हुए आरोप लगाया कि इसके सिलिकॉन वैली स्थित मुख्यालय में एक इंजीनियर को इसलिए भेदभाव का सामना करना पड़ा क्योंकि वह एक दलित भारतीय है। कैलिफोर्निया के निष्पक्ष रोजगार एवं आवासीय विभाग (डीएफईएच) द्वारा मंगलवार को दायर मुकदमे के अनुसार इस इंजीनियर ने सिस्को के सैन जोस स्थित मुख्यालय में भारतीयों के साथ काम किया जो सभी आव्रजन पर अमेरिका आए और वे सभी ऊंची जाति के हैं। मुकदमे में कहा गया है कि ऊंची जाति के सुपरवाइजरों और सहकर्मियों ने टीम में और सिस्को के कार्यस्थल पर भी भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया।

इसमें कहा गया है कि सिस्को में कर्मचारी के साथ किया गया व्यवहार नागरिक अधिकार कानून, 1964 और कैलिफोर्निया निष्पक्ष रोजगार एवं आवासीय कानून का उल्लंघन है। मुकदमे में कहा गया है कि यह कर्मचारी दलित भारतीय है और गैर दलित भारतीयों के मुकाबले उसकी त्वचा का रंग गहरा है। डीएफईएच के निदेशक केविन किश ने कहा, ‘‘जन्म द्वारा निर्धारित वंशानुगत सामाजिक स्थिति से कार्यस्थल की परिस्थितियों और अवसरों को तय करना अस्वीकार्य है।” इस मुकदमे में कर्मचारी से भेदभाव करने और उसे प्रताड़ित करने के लिए सिस्को के सुपरवाइजर सुंदर अय्यर और रमन कोम्पेल्ला को नामजद किया गया है। ये दोनों ही ऊंची जाति के हैं।

मुकदमे में कहा गया है कि सिस्को ने इस भेदभाव को रोकने के लिए कदम नहीं उठाए। इसमें कहा गया है कि अय्यर ने अन्य कर्मचारियों से कहा कि यह कर्मचारी दलित है और उसे भाई-भतीजावाद के कारण भारत के प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में दाखिला मिला। कर्मचारी ने सिस्को के मानव संसाधन विभाग से संपर्क किया और वह अय्यर के खिलाफ भेदभाव की शिकायत दर्ज कराना चाहता था और इसके बाद अय्यर ने उससे उसकी सारी जिम्मेदारियां छीन ली और उसे ऐसा काम दिया जो उसकी भूमिका को कमतर करता था तथा उसे अलग-थलग महसूस कराया। अय्यर ने सहकर्मियों से कहा कि वह उस कर्मचारी को नजरंदाज करें। मुकदमे में कहा गया कि उस कर्मचारी को वेतन भी तुलनात्मक रूप से कम मिलता था तथा अवसर भी कम दिए जाते थे।(एजेंसी)