US in action against China, appeals to countries to make laws like US so it can access Tibet

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बीजिंग: चीन (China) ने मंगलवार को कहा कि उसने तिब्बत (Tibet) मामलों के लिये विशेष समन्वयक के तौर पर रॉबर्ट डेस्ट्रो की नियुक्ति और तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रमुख लोबसांग सांगे के साथ उनकी मुलाकात को लेकर अमेरिका से कूटनीतिक विरोध दर्ज कराया है।

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ (Mike Pompeo) ने 15 अक्टूबर को वरिष्ठ कूटनीतिज्ञ डेस्ट्रो को तिब्बत मामलों के लिये विशेष समन्वयक नामित किया था जो अन्य मामलों के साथ ही चीन की कम्युनिस्ट (Communist Party of China) सरकार और दलाई लामा (Dalai Lama) के बीच बातचीत को आगे बढ़ाने की दिशा में ध्यान केंद्रित करेंगे।

पोम्पिओ ने वाशिंगटन (Washington) में संवाददाताओं को बताया कि लोकतंत्र, मानवाधिकार और श्रम मामलों के लिये सहायक विदेश मंत्री रॉबर्ट डेस्ट्रो तिब्बत मामलों के लिये अमेरिका के विशेष समन्वयक के तौर पर भी काम करेंगे। पोम्पिओ ने कहा कि डेस्ट्रो चीन की सरकार और दलाई लामा के बीच बातचीत को आगे बढ़ाने, तिब्बतियों की विशिष्ट धार्मिक, भाषायी और सांस्कृतिक पहचान की सुरक्षा, उनके मानवाधिकारों के प्रति सम्मान बढ़ाने और कई अन्य दूसरे मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे।

चीन पहले ही डेस्ट्रो की नियुक्ति की आलोचना करते हुए कह चुका है कि तिब्बत को अस्थिर करने के लिये राजनीतिक हेरफेर के उद्देश्य से यह किया गया है। डेस्ट्रो की नियुक्ति के बाद सांगे ने उनसे मुलाकात की थी और तिब्बत की स्थिति पर चर्चा की थी। डेस्ट्रो-सांगे की बैठक के बारे में पूछे जाने पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लीजियान ने यहां मीडिया से कहा, “शिजांग (तिब्बत) के मामले पूरी तरह से चीन का आंतरिक मामला है। किसी बाहरी ताकत को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।” पूर्व से इतर चीनी अधिकारी हाल के समय में तिब्बत को सिर्फ शिजांग के तौर पर संदर्भित करते हैं।

उन्होंने कहा, “तिब्बत मामलों को लेकर तथाकथित विशेष समन्वयक की नियुक्ति चीन के आंतरिक मामलों और शिजांग की स्थिरता को ध्वस्त करने का एक राजनीतिक कदम है। यह लगातार चीन का रुख रहा है और हम इसका सख्ती से विरोध करते हैं तथा हम इसे मान्यता नहीं देते। हमनें अमेरिका से इसका कड़ा विरोध दर्ज कराया है।”

डेस्ट्रो-सांगे मुलाकात पर झाओ ने कहा, “तथाकथित तिब्बत की निर्वासित सरकार एक अलगाववादी राजनीतिक संगठन है जो तिब्बत की आजादी के सपने का पीछा कर रहा है। यह चीन के संविधान और कानून का उल्लंघन करता है और दुनिया भर में किसी ने भी उसे मान्यता नहीं दी है।”