Corona Impact: UN report claims 10.8 crore workers have become poor due to Corona, 20.5 crore may be unemployed in 2022
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    संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने एक रिपोर्ट (Report) में कहा है कि, कोरोना वायरस (Corona Virus) महामारी के कारण अप्रत्याशित तबाही से अगले साल 20 करोड़ लोगों के बेरोजगार (Unemployed) होने की आशंका है और अभी 10.8 करोड़ कामगार ‘गरीब या अत्यंत गरीब’ की श्रेणी में पहुंच गए हैं।

    कोविड-19 महामारी से श्रम बाजार में पैदा संकट खत्म नहीं 

    संयुक्त राष्ट्र की श्रम एजेंसी अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) ने बुधवार को ‘विश्व रोजगार और सामाजिक परिदृश्य : रूझान 2021′ रिपोर्ट में कहा है कि कोविड-19 महामारी से श्रम बाजार में पैदा संकट खत्म नहीं हुआ है और नुकसान की भरपाई के लिए रोजगार वृद्धि कम से कम 2023 तक नाकाफी होगी। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘ठोस नीतिगत प्रयासों के अभाव के कारण महामारी अप्रत्याशित तबाही लेकर आयी है जिससे कई वर्षों तक सामाजिक और रोजगार परिदृश्य डरावना होगा।”

    25.5 करोड़ पूर्णकालिक श्रमिक एक साल तक काम कर सकते थे

    रिपोर्ट में कहा गया है कि, 2020 में कुल कामकाजी समय के 8.8 प्रतिशत हिस्से का नुकसान हुआ है, यानि 25.5 करोड़ पूर्णकालिक श्रमिक एक साल तक काम कर सकते थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक संकट से पैदा रोजगार की खाई 2021 में 7.5 करोड़ तक पहुंच जाएगी और 2022 में यह 2.3 करोड़ होगी। रोजगार और कामकाजी घंटे में कमी से बेरोजगारी का संकट उच्च स्तर पर पहुंचेगा।

    पहली छमाही में सबसे प्रभावित लातिन अमेरिका और कैरेबियाई क्षेत्र, यूरोप और मध्य एशिया

    रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘इसके फलस्वरूप 2022 में वैश्विक स्तर पर 20.5 करोड़ लोगों के बेरोजगार होने की आशंका है जबकि 2019 में 18.7 करोड़ लोग बेरोजगार थे। इस तरह बेरोजगारी दर 5.7 प्रतिशत है। कोविड-19 संकट अवधि को छोड़कर यह दर इससे पहले 2013 में थी।” इस साल की पहली छमाही में सबसे प्रभावित क्षेत्रों में लातिन अमेरिका और कैरेबियाई क्षेत्र, यूरोप और मध्य एशिया हैं। रोजगार और कामकाजी घंटे में गिरावट से श्रमिकों की आमदनी में कमी आयी है और इसी अनुपात में गरीबी भी बढ़ी है।

    10.8 करोड़ अतिरिक्त कामगार अब गरीब या अत्यंत गरीब की श्रेणी में पहुंच चुके हैं

    रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘2019 की तुलना में वैश्विक स्तर पर 10.8 करोड़ अतिरिक्त कामगार अब गरीब या अत्यंत गरीब की श्रेणी में पहुंच चुके हैं” यानी ऐसे कामगार और उनके परिवार प्रति दिन प्रति व्यक्ति 3.20 डॉलर से कम खर्च में गुजारा करते हैं। आईएलओ के महानिदेशक गय राइडर ने कहा कि कोविड-19 से उबर पाना महज स्वास्थ्य का मुद्दा नहीं है बल्कि अर्थव्यवस्था और समाज को पहुंची गंभीर क्षति से भी निपटना होगा।