लंदन: धुआंरहित तंबाकू (Smokeless Tobacco) के सेवन से दुनियाभर में होने वाली मौतों की संख्या सात साल में तीन गुना बढ़कर लगभग तीन लाख पचास हजार हो गई है। एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई। अध्ययन के अनुसार विश्वभर में धुआंरहित तंबाकू के प्रयोग से होने वाली बीमारियों के 70 प्रतिशत रोगी भारत में हैं।
अध्ययन में ब्रिटेन (Britain) के यॉर्क विश्वविद्यालय (University of York) के अनुसंधानकर्ताओं समेत अन्य वैज्ञानिक शामिल हैं। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि यह शोध ऐसे समय हुआ है जब आमतौर पर तंबाकू चबाने और थूकने वालों की आदत से कोरोना वायरस फैलने का खतरा है। बीएमसी मेडिसिन नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में सरकारी और जन स्वास्थ्य संस्थाओं से कहा गया है कि वह धुआंरहित तंबाकू के उत्पादन और विक्रय पर लगाम लगाएं। वैज्ञानिकों के अनुसार सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर प्रतिबंध लगने से धुआंरहित तंबाकू के प्रयोग में कमी आएगी और कोविड-19 के प्रसार को कम किया जा सकता है।
यॉर्क विश्वविद्यालय के कामरान सिद्दीकी (Kamran Siddiqui) ने कहा, “यह अध्ययन ऐसे समय में आया है जब कोविड-19 (COVID-19) हमारे जीवन के सभी पक्षों को प्रभावित कर रहा है। तंबाकू चबाने से लार अधिक बनती है और इससे थूकना लाजमी हो जाता है जिससे वायरस के फैलने का खतरा है।”
अध्ययन में कहा गया है कि धुआंरहित तंबाकू के सेवन से मुंह, श्वासनली और भोजन की नली में कैंसर होने से अकेले 2017 में नब्बे हजार से अधिक लोगों की मौत हुई। इसके अतिरिक्त दिल की बीमारी से 2,58,000 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। सिद्दीकी ने कहा कि विश्वभर में धुआंरहित तंबाकू से होने वाली बीमारियों में दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में भारत की 70 फीसदी की भागीदारी है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा पाकिस्तान की सात प्रतिशत, और बांग्लादेश की पांच प्रतिशत हिस्सेदारी है। (एजेंसी)