जापान: अमेरिका ने 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी पर हमला कर, जापान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। दो दिनों के अंतराल में हुए इन हमलों से बसे-बसाए दो शहर पूरी तरह तबाह हो गए थे। हिरोशिमा पर हुए हमले में जापानी सैनिकों और नागरिकों सहित करीब एक करीब 1,50,000 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई थी, जबकि नागासाकी पर हुए हमले में करीब 80,000 लोग मारे गए थे। अमेरिका के इन दो हमलों ने द्वितीय विश्व युद्ध की सूरत बदल कर रख दी थी। आंकड़ों के मुताबिक, हिरोशिमा पर हुए परमाणु हमले में करीब साठ प्रतिशत लोगों की तुरंत मौत हो गई थी, जबकि करीब तीस प्रतिशत लोगों की अगले एक माह के अंदर भयंकर बीमारियों के कारण। इसके अलावा करीब दस फीसद लोगों की मौत मलबे में दबने से हुई थी।
अमेरिका का क्या था बयान
उस दौरान, अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमैन थे। हमले के 16 घंटे के बाद ट्रूमैन ने हमले की घोषणा की थी और उसके बाद जापान को पता चला, कि असल में हिरोशिमा में क्या हुआ था। बताया जाता है कि, जब शहर के मध्य में परमाणु बम फटे थे, तो कुछ ही पलों में मज़बूत इमारतें भी मलबे में तब्दील हो गई थीं। हिरोशिमा शहर की करीब दो तिहाई इमारतें कुछ ही देर के अंदर ध्वस्त हो गईं थीं और कई किलोमीटर तक आग की एक आंधी सी फैल गई थी। धमाके की आवाज़ कई मीलों तक सुनी गई थी।
सीज़ फायर का एलान
हालांकि, हमले से पहला जापान का पलड़ा भारी था और दूसरे विश्व युद्ध में वो अन्य देशों पर हावी भी था। लेकिन इस हमले के बाद जापान की कमर पूरी तरह से टूट गई थी। इस परमाणु हमले के बाद जापान ने तुरंत सीजफायर का ऐलान कर दिए था।
आज भी याद किया जाता है वो दिन
हिरोशिमा और नागासाकी शहरों पर 6 और 9 अगस्त 1945 को हुए परमाणु हमले से पूरी दुनिया दहल गई थी। जापान में 6 अगस्त को आज भी वो दिन याद किया जाता है। यहां के नागरिक हर साल ये याद इस उम्मीद से मानते हैं कि दुनिया में अब कभी परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं हो। इस दर्दनाक हमले की हर वर्ष आयोजित वर्षगांठ के मौके पर पूरे जापान के नागरिकों की आँखें नम हो जाती हैं। इस साल, 6 और 9 अगस्त को हिरोशिमा और नागासाकी परमाणु बम धमाके की 75 वीं वर्षगांठ है। दुनिया भर में फैले कोरोना के चलते, इस साल, ‘हिरोशिमा डे’ पर लोगों से कार्यक्रम के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क पहनने की अपील की गई है।