Hiroshima-Nagasaki: nuclear weapons ban demanded on 75th anniversary

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हिरोशिमा: जापान के हिरोशिमा शहर पर हुए दुनिया के पहले परमाणु बम हमले को बृहस्पतिवार को 75 साल पूरे हो गए, लेकिन जीवित बचे लोग आज तक उस दिन को भुला नहीं पाए हैं। इस मौके पर हमले में जीवित बचे लोगों और उनके संबंधियों ने हिरोशिमा शांति स्मारक पार्क में बृहस्पतिवार सुबह 8 बजकर 15 मिनट पर एक मिनट का मौन रखकर मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी। कोरोना वायरस के चलते इस कार्यक्रम में कम लोगों को यहां आने की अनुमति थी।

अमेरिका ने आज ही के दिन 1945 में हिरोशिमा पर पहला परमाणु बम गिराया था, जिससे यह शहर तबाह हो गया था। इस हमले में 1,40,000 लोगों की मौत हो गई थी। इसके तीन दिन बाद अमेरिका ने नागासाकी शहर पर परमाणु हमला किया, जिसमें 70 हजार लोगों की जान चली गई। इसके बाद 15 अगस्त को जापान के आत्मसमर्पण करने के साथ ही द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त हो गया। हमले की 75वीं बरसी पर 83 साल से अधिक आयु के हो चुके जीवित बचे लोगों ने परमाणु निरस्त्रीकरण को लेकर धीमी प्रगति पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि जापान सरकार हमले में बचे लोगों की मदद करने और उनकी बात सुनने की इच्छुक दिखाई नहीं देती। हमले में बचे अपने पिता को श्रद्धांजलि देने आए मनाबू इवासा ने कहा, ”आबे की कथनी और करनी में फर्क है। ” इवासा के पिता का मार्च में 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। इवासा ने कहा, ” एक तरफ जापान अमेरिका का पक्ष लेता हुआ दिखता है तो वहीं दूसरी ओर परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने को लेकर और अधिक प्रयास करता हुआ भी दिखाई देता है।”

उन्होंने कहा, ”यह परेशान करने वाली बात है, लेकिन हम आम लोग कुछ खास कर नहीं सकते।” केइको ओगुरा हमले के समय आठ वर्ष की थीं। अब उनकी आयु 84 साल हो चुकी है। वह चाहती हैं कि गैर-परमाणु संपन्न देशों को परमाणु हथियार निषेध संधि पर हस्ताक्षर करने के लिये जापान पर दबाव डालना चाहिये। उन्होंने कहा, ”हमले में जीवित बचे कई लोग परमाणु हथियार निषेध संधि पर हस्ताक्षर नहीं करने को लेकर प्रधानमंत्री से नाराज हैं।” हिरोशिमा के मेयर कजूमी मतसुई और अन्य लोगों ने भी संधि पर हस्ताक्षर करने के इनकार करने को लेकर जापान सरकार को पाखंडी करार दिया है।

मतसुई ने वैश्विक नेताओं से परमाणु निरस्त्रीकरण के प्रति गंभीरता दिखाने का आग्रह किया। उन्होंने वैश्विक नेताओं, विशेषकर परमाणु शक्ति संपन्न देशों के नेताओं से हिरोशिमा की यात्रा कर परमाणु हमले की सच्चाई से रूबरू होने का आग्रह किया। इस बीच, जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने कहा कि उनका देश परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध को लेकर प्रतिबद्ध है, लेकिन परमाणु मुक्त दुनिया रातोंरात नहीं बनाई जा सकती। उन्होंने कहा कि इसके लिये दूसरी ओर से संवाद की शुरुआत की जानी चाहिये। (एजेंसी)