In the midst of a political crisis in Nepal, Prachanda proposed to remove the 'Maoist Center' from the name of his party

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    काठमांडू: नेपाल (Nepal) के नेकपा-माओवादी केन्द्र (CPN-Maoist Center) (एमसी) के प्रमुख पुष्प कमल दहल ‘‘प्रचंड” (Pushpa Kamal Dahal Prachanda) ने पार्टी (Party) को देश में कम्युनिस्ट (Communist) ताकतों के लिए स्वीकार्य बनाने हेतु ‘माओवादी केन्द्र’ हटाने का प्रस्ताव रखा है क्योंकि ऐसी शक्तिओं को माओवाद पसंद नहीं है। सोमवार को मीडिया में ऐसी खबरें आयीं।  ‘हिमालयन टाईम्स’ की खबर के अनुसार नेकपा-माओवादी केन्द्र के सदस्य शिव कुमार मंडल ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड सदैव ही देश की सभी कम्युनिस्ट शक्तियों के बीच एकजुटता के पक्ष में रहे हैं और सुझाव दिया कि यदि पार्टी के नाम से ‘माओवादी केन्द्र’ हटाने से इन शक्तियों को एकजुट होने में मदद मिल सकती है तो पार्टी उसके लिए तैयार है। 

    पार्टी के नाम में बदलाव का प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब नेकपा-माओवादी केन्द्र थोड़ी मुश्किलों में है क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के नेकपा-एमाले का नेकपा-माओवादी केन्द्र में विलय को खारिज कर दिया है। इससे एक ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गयी जहां प्रधानमंत्री ओली पार्टी में अपनी स्थिति मजबूत होने के रूप में देखते हैं । उन्हें केंद्रीय समिति और संसदीय दल में स्पष्ट बहुमत प्राप्त है। खबर के अनुसार नेकपा-एमाले के नेपाल धड़े के नेता– माधव कुमार नेपाल और झालानाथ खनल, जिन्होंने प्रधानमंत्री के पद से ओली के इस्तीफे की मांग में प्रचंड से हाथ मिला लिया था, अब अपनी स्थिति कमजोर पा रहे हैं।

    2017 के आम चुनाव में नेकपा-एमाले और नेकपा-माओवादी केन्द्र के गठबंधन की जीत के बाद दोनों ही दलों ने मई, 2018 में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के रूप में आपस में विलय कर लिया था। दिसंबर, 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा को भंग करने के ओली के कदम के बाद सत्तारूढ़ एनसीपी में विभाजन हो गया था। अपने ऐतिहासिक फैसले में शीर्ष अदालत ने संसद के निचले सदन को बहाल कर दिया था। नेपाल के चुनाव आयोग ने मंगलवार को नेकपा-एमाले और नेकपा-माओवादी केन्द्र से कहा कि उनके विलय के निर्णय को उच्चतम न्यायालय द्वारा खारिज कर दिये जाने के बाद यदि वे अब फिर विलय करने का फैसला हैं तो उन्हें नये नाम और चुनाव निशान के साथ सामने आना होगा।

    हालांकि दोनों दलों के बीच राजनीतिक टकराव तब और बढ़ गया जब प्रचंड ने दूसरी बार रविवार को अपने मंत्रियों को सामूहिक रूप से इस्तीफा देकर ओली सरकार से बाहर आने को कहा। मंडल ने कहा कि दुनिया में कई कम्युनिस्ट शक्तियां हैं जो मानती हैं कि मार्क्स और लेनिन के सिद्धांत ही साम्यवाद के असली सिद्धांत हैं और माओवादी सेंटर उन लोगों के लिए भटकाव हो सकता है जो अपने दलों का इस धड़े के साथ विलय चाहते हैं।

    खबर के अनुसार मंडल ने कहा, ‘‘ हमारी पार्टी ने नेपाल के अपने राजनीतिक सिद्धांत के रूप में ‘प्रचंडपथ’ विकसित किया था लेकिन जब हमारी पार्टी ने नारायण काजी श्रेष्ठ के नेतृत्व वाले कम्युनिस्ट संगठन के साथ एकता सौदा किया तब प्रचंड प्रचंडपथ छोड़ने को तैयार हो गए क्योंकि श्रेष्ठ धड़े द्वारा शर्त लगायी गयी थी।