When some countries took unfair advantage of the epidemic, we provided medical aid: India

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संयुक्त राष्ट्र: भारत (India) ने कोविड-19 (Covid-19) से संबंधित गलत सूचना का प्रसार रोकने के लिए राष्ट्रों एवं प्रौद्योगिकी कंपनियों के बीच अधिक सहयोग की अपील करते हुए कहा है कि फर्जी समाचार (Fake News) एवं छेड़छाड़ किए गए वीडियो (Morphed Videos) इस बीमारी से निपटने को लेकर प्राधिकारियों पर लोगों के भरोसे को कम करते हैं।

संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की 74वीं महासभा के ‘‘शांति की संस्कृति” कार्यक्रम में कोविड-19 के दीर्घकालीन प्रभावों पर चर्चा की गई। दुनिया भर में अब तक कोरोना वायरस संक्रमण के दो करोड़ 80 लाख से अधिक मामले सामने आ चुके हैं और नौ लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन की काउंसलर पाउलोमी त्रिपाठी ने कहा, ‘‘इस वैश्विक महामारी ने सूचना रखने वाले समाज की मौजूदा दुविधा दर्शाई है। हमें गलत सूचनाएं मिल रही हैं, जिन्होंने लाखों लोगों का जीवन और आजीविका को खतरे में डाल दिया है, फर्जी समाचारों और छेड़ छाड़ किए गए वीडियो के जरिए समाजों को बांट दिया है और बीमारी से निपटने को लेकर प्राधिकारियों में भरोसे को कमजोर किया है।”

उन्होंने कहा कि सूचना तक पहुंच के अभाव के कारण निर्णय लेने की अहम प्रक्रियाओं और सकारात्मक सामाजिक बदलाव का गला घुट रहा है। त्रिपाठी ने कहा कि महामारी के बीच सामाजिक एवं राजनीतिक शत्रुता बढ़ने के साथ ही देशों के बीच आपसी संबंधों में तनाव बढ़ रहा है और महामारी के दौरान हिंसा, कट्टरता और भेदभाव बढ़ा है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें देशों और प्रौद्योगिकी समेत अन्य साझीदारों के बीच अधिक सहयोग की आवश्यकता है, ताकि गलत सूचनाओं का प्रसार रोका जा सके।” इस मौके पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि महामारी के कारण विकसित देशों में भी सार्वजनिक संस्थाओं एवं लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर भरोसा कम होने का खतरा है।

उन्होंने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद से हमने वैश्विक शांति एवं सुरक्षा को इतने जटिल एवं बहु आयामी खतरे का कभी सामना नहीं किया है।” गुतारेस ने कहा, ‘‘इस गंभीर खतरे के बीच यह और अधिक महत्वपूर्ण हो गया है कि वैश्विक सहयोग के अहम आधार के तौर पर शांति की संस्कृति के लिए काम किया जाए।”