अमेरिका में भारतवंशियों के साथ होता है भेदभाव, त्‍वचा के रंग के कारण होता है ऐसा : सर्वे

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    वाशिंगटन. अमेरिका में प्रवासियों की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले भारतीय मूल (Indian-Americans) के नागरिक आए दिन भेदभाव (Discrimination) और ध्रुवीकरण का सामना करते हैं। बुधवार को जारी एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी है। ‘‘भारतीय अमेरिकियों की सामाजिक वास्तविकताएं : 2020 भारतीय अमेरिकी प्रवृत्ति सर्वेक्षण के नतीजे” शीर्षक की यह रिपोर्ट अमेरिका में रह रहे 1,200 भारतीय-अमेरिकियों के ऑनलाइन सर्वेक्षण Indian American Attitudes Survey (IAAS) पर आधारित है जो शोध और विश्लेषण संबंधी कंपनी ‘यूजीओवी’ के साथ मिलकर किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘भारतीय-अमेरिकी आए दिन भेदभाव का सामना करते हैं।

    दो में से एक भारतीय अमेरिकी ने पिछले एक साल में भेदभाव का सामना किए जाने की शिकायत की। इनमें से सबसे अधिक भेदभाव उनकी त्वचा के रंग के आधार पर किया गया। हैरानी की बात यह है कि अमेरिका में जन्मे भारतीय-अमेरिकियों ने भेदभाव का अधिक शिकार होने की शिकायत की।” रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ज्यादातर भारतीय-अमेरिकियों ने अपने ही समुदाय में शादी की। सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 10 लोगों में से आठ का जीवनसाथी भारतीय मूल का है जबकि अमेरिका में जन्मे भारतीय-अमेरिकियों की, भारतीय मूल के ही लेकिन अमेरिका में जन्मे व्यक्ति से शादी करने की संभावना चार गुना अधिक है।

    सर्वेक्षण में पाया गया कि भारतीय-अमेरिकियों की जिंदगी में धर्म एक अहम भूमिका निभाता है लेकिन धर्म को मानने के तरीके अलग हैं। करीब 40 प्रतिशत लोग दिन में कम से कम एक बार प्रार्थना करते हैं और 27 प्रतिशत हफ्ते में एक बार धार्मिक सेवाओं में भाग लेते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय-अमेरिकियों के बीच ध्रुवीकरण अमेरिकी समाज में वृहद प्रवृत्ति को दिखाता है।

    इसमें कहा गया है, ‘‘व्यक्तिगत स्तर पर धार्मिक ध्रुवीकरण कम है जबकि भारत और अमेरिका दोनों में राजनीतिक प्राथमिकता से जुड़ा दलीय ध्रुवीकरण अधिक है।” भारतीय-अमेरिकियों की संख्या अमेरिका की कुल आबादी के एक प्रतिशत से अधिक है और सभी पंजीकृत मतदाताओं की संख्या के एक प्रतिशत से कम है। देश में भारतीय-अमेरिकी दूसरा सबसे बड़ा प्रवासी समूह है। 2018 के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में भारतीय मूल के 42 लाख लोग रह रहे हैं। (एजेंसी)