Teacher shows 'inappropriate' cartoon of Prophet Mohammad to children in a UK school, controversy escalates

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लंदन/चेन्नई: ब्रिटेन (Britain) में एक भारतीय दम्पति ने ब्रिटिश प्राधिकारियों (British Authorities) से अपील की है कि उनके उन दोनों बच्चों को भारत (India) में उनके परिवार के साथ रहने की इजाजत दें जो ब्रिटेन में फोस्टर केयर (प्राधिकारियों की देखरेख में लालन-पालन) (Foster Care) में हैं। इस दम्पति ने हाल में ब्रिटेन की एक अदालत में अपील जीती है। अभिभावकों का नाम विधिक कारणों से सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। 

दम्पति, मूल रूप से तमिलनाडु (Tamil Nadu) के नागपट्टिनम के रहने वाले हैं और वे 2004 में ब्रिटेन चले गए थे। इनका अपने बच्चों-11 वर्षीय पुत्र और नौ वर्षीय पुत्री से अगस्त 2015 में सम्पर्क टूट गया था जब इन्हें बर्मिंघम स्थित स्थानीय बाल देखभाल प्राधिकारियों की देखभाल में ले लिया गया था। इनका मामला परिवार अदालतों में था और गत सप्ताह ब्रिटेन की एक अपीलीय अदालत ने फैसला सुनाया कि ‘‘अभिभावकों के विरोध” को देखते हुए बर्मिंघम चिल्ड्रन ट्रस्ट को बच्चों की ब्रिटेन की नागरिकता के लिए आवेदन करने से पहले अदालत की मंजूरी लेनी चाहिए। 52 वर्षीय सिविल इंजीनियर (Civil Engineer) ने कहा, ‘‘मैं एक भारतीय नागरिक हूं। मेरे बच्चे भी भारतीय नागरिक हैं। हम भारत वापस जाना पसंद करेंगे। हमें बच्चों के लिए ब्रिटेन की नागरिकता नहीं चाहिए। हमने यह स्पष्ट कर दिया है।”

उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय उच्चायोग (Indian High Commission) ने अदालत में मामले की सुनवायी के दौरान मेरे बच्चों की वापसी का समर्थन किया था।” बर्मिंघम में भारतीय वाणिज्य दूतावास (सीजीआई) ने कहा कि वह अभिभावकों के गत चार वर्षों की कानूनी लड़ाई में कान्सुलर और विधिक सहायता मुहैया करा रहा है।

बर्मिंघम में सीजीआई ने एक बयान में कहा, ‘‘हमने बर्मिंघम में माननीय परिवार अदालत में कहा था कि भारतीय वाणिज्य दूतावास बच्चों के कल्याण संबंधी जरूरतों के लिए सहायता प्रदान करने और बच्चों के लिए भारतीय पासपोर्ट के वास्ते आवश्यक व्यवस्था करना चाहता है। हम उनकी भारत के लिए उड़ान का खर्च, उनकी देखभाल की व्यवस्था की देखरेख करेंगे।” सीजीआई ने कहा कि वह मामले की प्रगति की निगरानी जारी रखे हुए है और तमिलनाडु में बच्चों के संभावित संरक्षक के बारे में बाल कल्याण समिति, जिला नागपट्टिनम से एक रिपोर्ट प्राप्त करने में अभिभावकों की सहायता भी की है।

भारतीय वाणिज्य दूतावास ने कहा, ‘‘हमें यह समझना चाहिए कि मामला अदालत में विचाराधीन है और मामले पर कोई टिप्पणी करना, हो सकता है कि उचित नहीं हो।” पिता ने तमिल में बोलते हुए कहा, ‘‘यहां (बर्मिंघम में) रहने का मेरा एकमात्र उद्देश्य मेरे बच्चों को ब्रिटेन के प्राधिकारियों से मुक्त करवाना और उन्हें भारत भिजवाना है। … बच्चे भारत में सुरक्षित एवं शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करेंगे।” उनकी पत्नी, (45) भी एक भारतीय नागरिक हैं और तमिलनाडु से हैं। वह अब अपनी मां और अपनी साढ़े चार साल की बेटी के साथ सिंगापुर में रह रही हैं। वह इस भय से गर्भवस्था के दौरान ब्रिटेन से चली गई थीं कि कहीं वह अपने तीसरे बच्चें को भी ना खो दें। (एजेंसी)