Japan's 'Rising Sun' flag

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    सियोल. जापान (japan) ‘उगते सूरज’ के अपने ध्वज (Rising Sun Flag) को इतिहास का हिस्सा मानता है लेकिन कोरिया, चीन और अन्य एशियाई देशों में कुछ का कहना है कि यह ध्वज युद्ध के दौरान जापानी अत्याचारों की याद दिलाता है और उन्होंने इसकी तुलना नाजी स्वास्तिक से की। इसी वजह से ओलंपिक में जापान के ध्वज को लेकर नाराजगी है और मेजबान देश के कुछ पड़ोसी देशों ने इसे तोक्यो ओलंपिक के दौरान प्रतिबंधित करने की मांग भी की है। वर्ष 2019 में दक्षिण कोरिया ने अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) से आधिकारिक रूप से अनुरोध किया था कि तोक्यो ओलंपिक में इस ध्वज पर प्रतिबंध लगाया जाए।

    दक्षिण कोरिया ने कहा था कि यह ध्वज एशियाई लोगों के दर्द की याद दिलाता है जिन्होंने जापान के युद्धकाल के सैन्य आक्रमण का अनुभव किया था और यह इसी तरह से है जैसे स्वास्तिक यूरापीय लोगों को द्वितीय विश्व युद्ध के दुस्वप्न की याद दिलाता है। उत्तर कोरिया ने आरोप लगाया कि जापान युद्ध के अपराधियों को ओलंपिक में शांति के प्रतीक बनाने की कोशिश कर रहा है जो उनके और एशियाई लोगों के लिये अपमानजनक है।

    शनिवार को दक्षिण कोरिया ने तब ओलंपिक गांव से अपने बैनर हटा दिये थे जब आईओसी ने उन्हें उकसाने वाला करार दिया था। दक्षिण कोरिया ने कहा कि उसे आईओसी ने वादा किया था कि ओलंपिक के अन्य स्थलों और स्टेडियमों में भी इस ध्वज को लगाने से प्रतिबंधित कर दिया जायेगा। लेकिन दक्षिण कोरियाई मीडिया ने बाद में खबर दी कि कुछ कार्यकर्ता खेल गांव के करीब इसे लिये हुए थे।

    मीडिया रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि जापान की आयोजन समिति ने कहा कि ध्वज ओलंपिक स्टेडियम के अंदर प्रतिबंधित नहीं है। सियोल में एहवा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर लेस एरिक ईस्ले ने कहा, “आप तोक्यो ओलंपिक मेजबान या जापानी खिलाड़ियों से इस उगते सूरज के ध्वज के इस्तेमाल की उम्मीद नहीं करोगे क्योंकि यह राष्ट्रीय ध्वज नहीं है।” (एजेंसी)