काठमांडू: नेपाल (Nepal) के विदेश मंत्री (Foreign Minister) प्रदीप कुमार ज्ञवाली (Pradeep Kumar Gyawali) बृहस्पतिवार को भारत (India) की तीन दिन की यात्रा पर रवाना हो गये जिस दौरान वह नेपाल-भारत (India-Nepal) संयुक्त आयोग की छठी बैठक में हिस्सा लेंगे और भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (Indian Foreign Minister S Jaishankar) के साथ कोविड-19 (Covid-19) पर सहयोग एवं सीमा विवाद समेत संबंधों के संपूर्ण आयामों पर चर्चा करेंगे।
नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) ने पिछले साल तीन भारतीय क्षेत्रों- लिंपियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को दर्शाने वाले नये राजनीतिक मानचित्र का प्रकाशन करके सीमा विवाद को जन्म दे दिया था जिसके बाद ज्ञवाली भारत आने वाले नेपाल के सबसे वरिष्ठ राजनेता होंगे।
संयुक्त आयोग दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय वार्ता का सर्वोच्च तंत्र है। बैठक में दोनों देश द्विपक्षीय व्यापार, ऊर्जा, सीमा विवाद तथा कोविड-19 के मुद्दे पर सहायता जैसे अनेक विषयों पर विचार-विमर्श करेंगे। विदेश मंत्रालय ने पहले एक बयान में कहा था, ‘‘संयुक्त आयोग की बैठक में व्यापार, पारगमन, ऊर्जा, सीमा, कोविड-19 सहयोग, बुनियादी संरचना, संपर्क, निवेश, कृषि, पर्यटन, संस्कृति समेत अन्य विषयों पर नेपाल-भारत के द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण आयाम पर चर्चा होगी।”
विदेश मंत्री ज्ञवाली अपनी यात्रा में भारत के उच्चस्तरीय पदाधिकारियों से भी मुलाकात करेंगे। अधिकारियों के अनुसार ज्ञवाली के साथ विदेश सचिव भरत राज पौडयाल और स्वास्थ्य तथा जनसंख्या मंत्रालय में सचिव लक्ष्मी आर्याल भी होंगे। पिछले साल मानचित्र वाले घटनाक्रम के बाद भारत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे ‘एकपक्षीय कार्रवाई’ करार दिया था और काठमांडू को आगाह किया था कि क्षेत्रीय दावों को कृत्रिम तरीके से विस्तार देना उसे स्वीकार्य नहीं होगा।
भारत ने कहा था कि नेपाल की कार्रवाई ने, दोनों देशों के बीच सीमा संबंधी मुद्दों को बातचीत से सुलझाने के लिए बनी सहमति का उल्लंघन किया। इससे पहले, पिछले साल नवंबर में भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला (Foreign Secretary Harshvardhan Shringla) की पहली नेपाल यात्रा का उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों में पुन: सामंजस्य लाना था।