काठमांडू. नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली (Nepal PM KP Sharma) ने राष्ट्रपति द्वारा प्रतिनिधि सभा को भंग किये जाने को उचित ठहराने की कोशिश करते हुए शुक्रवार को सभी राजनीतिक दलों (Political Parties) से एक सर्वदलीय सरकार बनाने और नये चुनाव कराने का आग्रह किया। राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी द्वारा सदन को भंग किए जाने के एक सप्ताह बाद ओली ने टेलीविजन पर राष्ट्र के नाम एक संबोधन में कहा, “चुनाव के लिए जाना कभी भी प्रतिगामी कार्य नहीं हो सकता है।”
अल्पमत सरकार का नेतृत्व कर रहे ओली की सलाह पर राष्ट्रपति ने सदन को भंग कर दिया था। ‘माई रिपब्लिका डॉट कॉम’ पोर्टल के अनुसार ओली ने राजनीतिक दलों से सर्वदलीय सरकार बनाने और चुनाव कराने का आह्वान किया। ओली ने कहा कि संसद 23 फरवरी को न्यायिक हस्तक्षेप के जरिए बहाल होने के बाद भी देश में स्थिरता सुनिश्चित नहीं कर सकी।
उन्होंने कहा कि हालांकि सदन को उच्चतम न्यायालय के फैसले से बहाल किया गया था, लेकिन यह देश में निष्क्रिय और अस्थिरता का मुख्य स्रोत साबित हुआ। ओली ने दावा किया कि उन्होंने संसद के निचले सदन को भंग होने से रोकने की कोशिश की। उन्होंने संसद भंग होने के लिए विपक्षी दलों और सत्तारूढ़ सीपीएन-यूएमएल के असंतुष्ट धड़े को जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने कहा, “जनता समाजवादी पार्टी (जेएसपी) से समर्थन का आश्वासन मिलने के बाद मैंने अनुच्छेद 76 (5) के अनुसार वैकल्पिक सरकार बनाने का अपना आखिरी प्रयास किया। हालांकि, राजनीति का गंदा खेल खेलने वाले विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति को नयी सरकार के उनके दावे को खारिज करने के लिए मजबूर किया।”
राष्ट्रपति भंडारी ने शनिवार को 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा को पांच महीने में दूसरी बार भंग कर दिया और प्रधानमंत्री ओली की सलाह पर 12 नवंबर और 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव की घोषणा की। राष्ट्रपति भंडारी ने सरकार बनाने के लिए प्रधानमंत्री ओली और विपक्षी गठबंधन दोनों के दावों को खारिज कर दिया।
नेपाल के विपक्षी गठबंधन ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में एक रिट याचिका दायर करके प्रतिनिधि सभा की बहाली और देउबा को प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करने का अनुरोध किया था। अन्य ने भी प्रतिनिधि सभा को भंग किये जाने के खिलाफ याचिका दायर की थीं। (एजेंसी)