One lakh dollar award to Indian led team for testing saliva by phone
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ह्यूस्टन: लार (Saliva) के जरिए संक्रामक रोगों और पोषक तत्वों की कमी का मोबाइल फोन (Mobile Phone) के जरिए पता लगाने वाली त्वरित प्रणाली विकसित करने के लिए एक भारतीय अमेरिकी (Indian-American) वैज्ञानिक (Scientist) के नेतृत्व वाले दल को एक लाख डॉलर के पुरस्कार से नवाजा गया है। सौरभ मेहता (Saurabh Mehta) की अगुवाई वाले कॉरनेल के अनुसंधानकर्ता दल को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (National Institute of Health) (एनआईएच) के टेक्नोलॉजी एक्सिलरेटर चैलेंज पुरस्कार (Technology Accelerator Challenge Award) से सम्मानित किया गया है।

यह पुरस्कार वैश्विक स्वास्थ्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण नई और नॉन-इन्वेसिव निदान प्रौद्योगिकी के विकास को बढ़ावा देता है। कॉलेज ऑफ ह्यूमन इकोलॉजी (सीएचई) में पोषण विज्ञान विभाग में वैश्विक स्वास्थ्य, महामारी विज्ञान और पोषाहार के एसोसिएट प्रोफेसर मेहता के मुताबिक लार के बायोमार्कर का इस्तेमाल करने वाली प्रौद्योगिकियां मलेरिया जैसे रोगों और शरीर में लौह तत्व आदि की कमी का पता लगाने और उन पर ध्यान देने की दिशा में क्रांतिकारी साबित हो सकती हैं।

उन क्षेत्रों में ये और भी अधिक कारगर हो सकती हैं जहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंच एवं पारंपरिक प्रयोगशाला आधारित जांच सीमित हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह अवधारणा दुनिया में कहीं भी नॉन-इन्वेसिव, त्वरित और सटीक परिणाम देने से संबंधित है। इस तरह से मोबाइल से परीक्षण की यह उपलब्धि दुनियाभर में संवेदनशील आबादी के लिए अपार स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने वाली हो सकती है।”

इस सलाइवा (लार) परीक्षण में एक छोटा 3डी-प्रिंटेड एडेप्टर मोबाइल फोन पर लगाया जाता है और उसे एक मोबाइल ऐप से जोड़ा जाता है। यह ऐप फोन कैमरा के माध्यम से जांच स्ट्रिप की तस्वीर लेकर मलेरिया, लौह तत्वों की कमी आदि के संबंध में 15 मिनट में परिणाम देता है।