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संयुक्त राष्ट्र: भारत (India) ने संयुक्त राष्ट्र (United Nations) से कहा है कि अगर पाकिस्तान (Pakistan) भारत (India) के धर्मों के प्रति ‘‘घृणा की अपनी मौजूदा संस्कृति” छोड़ दे और सीमापार आतंकवाद (Terrorism) को समर्थन देना बंद कर दे तो दक्षिण एशिया (Southern Asia) और अन्यत्र भी शांति की सच्ची संस्कृति के लिए कोशिश की जा सकती है।

संयुक्त राष्ट्र (United Nations) महासभा में ‘‘शांति की संस्कृति” सत्र को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के प्रथम सचिव आशीष शर्मा ने कहा कि आज की दुनिया में असहिष्णुता, घृणा, हिंसा और आतंकवाद एक प्रकार से नियम बन गए हैं। उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि आतंकवाद हिंसा और असहिष्णुता का ही एक रूप है और सभी धर्मों और संस्कृतियों के विपरीत है।

शर्मा ने कहा,‘‘अगर पाकिस्तान भारत के धर्मों के प्रति घृणा की वर्तमान संस्कृति छोड़ दे और हमारे लोगों के खिलाफ सीमापार आतंकवाद को समर्थन देना बंद कर दे तो दक्षिण एशिया और अन्यत्र भी हम शांति की सच्ची संस्कृति के लिए कोशिश कर सकते हैं।”

उन्होंने पड़ोसी मुल्क में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की खबरों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘तब तक हम पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों पर धमकियों, नियंत्रण, जबरन धर्म परिवर्तन और हत्या के खामोश तमाशाई रहेंगे। यहां तक कि समान धर्मों के लोगों को भी बख्शा नहीं जा रहा है।” उन्होंने कहा, ‘‘हमें यह स्पष्ट होना चाहिए कि आतंकवाद को बढ़ावा देना अथवा उसकी अनदेखी करना जिसी राक्षस को पालने पोसने जैसा है जो एक दिन हमें ही खा जाएगा।”

भारत ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से ऐसी नकारात्मक ताकतों से अलग अलग लड़ने के बजाए मिल कर लड़ने का अनुरोध किया। शर्मा ने कहा,‘‘ अलग-अलग विफल होने के बजाए, आइए हम साथ मिल कर शांति की संस्कृति विकसित करें।”