Political criAmidst the political crisis in Nepal, Prime Minister Oli said, 'Misunderstanding' with India has been removedsis deepens in Nepal, opposition parties move Supreme Court against decision to dissolve parliament
File Photo

    Loading

    काठमांडू: नेपाल (Nepal) के विपक्षी गठबंधन (Opposition Parties) ने राष्ट्रपति द्वारा प्रतिनिधि सभा को भंग करने के फैसले को ‘असंवैधानिक’ बताते हुए इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में रिट याचिका (Writ Petition) दाखिल की है। राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली (Prime Minister KP Sharma Oli) की सिफारिशों पर सदन को भंग कर दिया था। ओली की सरकार सदन में विश्वास मत में हारने के बाद अल्पमत में आ गई थी।

    ‘हिमालयन टाइम्स’ की खबर के अनुसार रिट याचिका में याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा को संविधान के अनुच्छेद 76 (5) के अनुसार कानून सम्मत तरीके से नेपाल का प्रधानमंत्री बनाया जाना चाहिए। अखबार ने लिखा कि विपक्षी गठबंधन के नेताओं ने नवंबर में चुनाव कराने की घोषणा को रद्द करने, महामारी के बीच चुनाव से संबंधित कार्यक्रमों को रोकने तथा संविधान के प्रावधान के अनुरूप बजट प्रस्तुत करने के लिहाज से सदन की बैठक बुलाने के लिए आदेश जारी करने की मांगें भी की हैं। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि संसद को भंग करने का फैसला ‘असंवैधानिक’ है।

    विपक्षी दलों के पूर्व सांसद रविवार और सोमवार को सिंह दरबार में जमा हुए तथा उन्होंने प्रधानमंत्री पद के लिए देउबा के दावे के समर्थन में अपने हस्ताक्षर सौंपे। प्रधानमंत्री ओली के प्रतिद्वंद्वी खेमे के कम से कम 26 नेताओं ने भी खबरों के अनुसार अपने हस्ताक्षरों की सूची सौंपी है। देउबा ने शुक्रवार को 149 सांसदों का समर्थन होने की बात कही थी और सरकार बनाने का दावा पेश किया था।

    राष्ट्रपति भंडारी ने प्रधानमंत्री ओली की सिफारिश पर शनिवार को पांच महीने में दूसरी बार 275 सदस्यीय सदन को भंग कर दिया था तथा 12 और 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव की घोषणा की। उन्होंने प्रधानमंत्री ओली और विपक्षी गठबंधन के सरकार बनाने के दावों को खारिज कर दिया था।