China has more aggressive stance in Indo-Pacific: US official
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तोक्यो: हिंद-प्रशांत (Ind0-Pacific) क्षेत्र में चीन (China) की बढ़ती गतिविधियों के बीच भारत (India), अमेरिका (America), जापान (Japan) और ऑस्ट्रेलिया (Australia) ने मंगलवार को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र को मुक्त और खुला बनाए रखने के लिए समन्वय बढ़ाने पर सहमति जतायी।

जापानी प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा, विदेश मंत्री एस जयशंकर, अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री मारिस पैने ने मुक्त, खुली और नियमों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को मजबूत बनाने की प्रतिबद्धता जतायी। जापान सरकार ने तोक्यो में एक बैठक के बाद जारी बयान में यह जानकारी दी।

क्योदो संवाद एजेंसी ने बयान के हवाले से कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र के चार प्रमुख लोकतंत्रों ने क्षेत्र की शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए समन्वय करने का संकल्प लिया। क्वाड चार देशों का समूह है जिसमें अमेरिका और भारत के अलावा आस्ट्रेलिया व जापान भी शामिल हैं। जापानी विदेश मंत्री तोशीमित्सु मोटेगी की मेजबानी में हुयी इस बैठक में चारों देशों के विदेश मंत्री शामिल हुए।

यह बैठक हिंद-प्रशांत, दक्षिण चीन सागर (South China Sea) और पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) (LAC) पर चीन के आक्रामक सैन्य आचरण की पृष्ठभूमि में हुयी। प्रधानमंत्री सुगा ने द्वितीय क्वाड मंत्रिस्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत को ‘‘अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस क्षेत्र की शांति और समृद्धि के रूप में व्यापक मान्यता मिली हुयी है।” उन्होंने कहा कि उनकी सरकार की मूल नीति “इस दिशा में अपने सदस्यों को बढ़ाना जारी रखना है।”

पिछले महीने ही पदभार ग्रहण करने वाले सुगा ने चतुष्कोणीय संबंधों को, खासकर विश्व स्तर पर कोरोना वायरस के प्रसार के बीच, गहरा बनाने की आवश्यकता को रेखांकित किया, उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय विभिन्न प्रकार की कई चुनौतियों का सामना कर रहा इसलिए यह उचित समय है कि हम अधिक से अधिक ऐसे देशों के साथ अपना समन्वय बढ़ाएं जिनका दृष्टिकोण हमारे समान है।

जयशंकर ने अपने शुरूआती संबोधन में कहा, ‘‘साझा मूल्यों के साथ जीवंत और बहुलवादी लोकतंत्रों के रूप में चार देशों ने स्वतंत्र, खुला और समावेशी हिंद-प्रशांत बनाए रखने के महत्व की सामूहिक रूप से पुष्टि की है।”

उन्होंने कहा, ‘‘हम नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं जिसमें कानून के शासन, पारदर्शिता, अंतरराष्ट्रीय समुद्रों में नौवहन की स्वतंत्रता, क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के प्रति सम्मान और विवादों का शांतिपूर्ण समाधान शामिल हों।” जयशंकर ने कहा कि हिंद-प्रशांत में वैध और महत्वपूर्ण हितों वाले सभी देशों के आर्थिक व सुरक्षा हितों को आगे बढ़ाना हमारा मकसद है। चीन दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में क्षेत्रीय विवादों में शामिल है। चीन ने पिछले कुछ वर्षों में अपने मानव निर्मित द्वीपों के सैन्यीकरण में भी वृद्धि की है।

चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपनी संप्रभुता का दावा करता है। लेकिन वियतनाम, मलेशिया, फिलीपीन, ब्रुनेई और ताइवान इससे खिलाफ है। वहीं पूर्वी चीन सागर में चीन का जापान के साथ विवाद है। दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर को खनिज, तेल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध माना जाता है। वे वैश्विक व्यापार के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। हालांकि विवादित जल क्षेत्र में अमेरिका ने कोई दावा नहीं किया है लेकिन उसने क्षेत्र में युद्धपोत और लड़ाकू विमान तैनात कर चीन के बढ़ते क्षेत्रीय दावों को चुनौती दी है।