Afghanistan Updates : India gave this advice to its citizens on the deteriorating situation in Afghanistan, Embassy issued advisory for Indians
File

Loading

काबुल: अफगानिस्तान की राजधानी में एक पारम्परिक परिषद 400 तालिबान को छोड़ने पर फैसला करने के लिए शुक्रवार को खुलेगा। अफगान राजनीतिक नेतृत्व और तालिबान के बीच शांति समझौते को लेकर बातचीत शुरू करने की राह में यह आखिरी बाधा है। अफगानिस्तान में चिर शान्ति के लिए बातचीत एक अहम कदम है। वार्ता से ही इस बात का फैसला होगा कि एक शांतिपूर्ण अफगानिस्तान कैसा दिखेगा, कौन से संवैधानिक परिवर्तन किए जाएंगे, महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा कैसे की जाएगी और दोनों पक्षों के हथियारों से लैस हजारों लोगों का भविष्य तय होगा।

अमेरिका ने बुधवार को एक बयान में कहा था कि वह पारम्परिक परिषद या जिरगा का स्वागत करता है। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ यह स्पष्ट कर चुके हैं कि अगर तालिबान के साथ शांति वार्ता की दिशा में आगे बढ़ना है तो 400 कैदियों को रिहा करना ही होगा। पोम्पिओ ने एक बयान में कहा था कि हम मानते हैं कि सब कैदियों की रिहाई के हक में नहीं है लेकिन इस मुश्किल कदम से जरूरी परिणाम निकल कर आएंगे। बयान से यह संकेत मिले कि अमेरिका 400 तालिबान को रिहा ना करने के फैसले को स्वीकार करने को तैयार नहीं है।

तालिबान के मुख्य वार्ताकार, मुल्ला अब्दुल गनी बरादर से इस सप्ताह वीडियो कॉल पर बात करने वाले पोम्पिओं ने कहा था कि तालिबान वार्ता शुरू होते ही हिंसा कम करने को तैयार हो गया है। तालिबान के राजनीतिक प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने भी पहले कहा था कि तालिबान और काबुल के नेतृत्व के बीच वार्ता में स्थायी संघर्ष विराम प्रमुख एजेंडा होगा। गौरतलब है कि अमेरिका और तालिबान के बीच फरवरी में हुए समझौते के तहत काबुल को पांच हजार तालिबान को रिहा करना था जबकि तालिबान को एक हजार सरकारी और सैन्य कर्मियों को छोड़ना था। (एजेंसी)