The US document states - 'India has the ability to respond reliably to China's instigation'
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वाशिंगटन: अमेरिका (America) के निवर्तमान ट्रंप प्रशासन (Trump Administration) ने सार्वजनिक किए गए एक दस्तावेज में कहा है कि भारत (India) में सीमा पर चीन (China) की उकसाने वाली कार्रवाई का जवाब देने की क्षमता है और एक मजबूत भारत समान सोच रखने वाले देशों के सहयोग से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र (Indo-Pacific Region) में चीन के खिलाफ ‘‘शक्ति संतुलन” बनाने का काम करेगा।

10 पृष्ठीय दस्तावेज को अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रोबर्ट ओ’ब्रायन (National Security Advisor Robert O’ Brayan) ने हाल में सार्वजनिक किया था और अब इसे व्हाइट हाउस (White House) की वेबसाइट पर पोस्ट किया गया है। हिंद प्रशांत के लिए ‘यूएस स्ट्रैटेजिक फ्रेमवर्क’ दस्तावेज में कहा गया है, ‘‘भारत सुरक्षा मामलों पर अमेरिका का पंसदीदा साझेदार है। दोनों दक्षिण एवं दक्षिण पूर्व एशिया और आपसी चिंता वाले अन्य क्षेत्रों में समुद्री सुरक्षा बनाए रखने और चीनी प्रभाव को रोकने में सहयोग करते हैं। भारत में सीमा पर चीन की उकसावे की कार्रवाई का जवाब देने की क्षमता है।”

इसमें कहा गया है कि भारत दक्षिण एशिया में अग्रणी है और वह हिंद प्रशांत की सुरक्षा बनाए रखने में नेतृत्व की भूमिका निभा रहा है। वह दक्षिण पूर्व एशिया में मौजूदगी बढ़ा रहा है और क्षेत्र में अमेरिका के अन्य सहयोगियों एवं साझेदारों के साथ आर्थिक, रक्षात्मक एवं राजयनिक सहयोग को विस्तार दे रहा है।

दस्तावेज में कहा गया है, ‘‘एक मजबूत भारत एक जैसी सोच रखने वाले देशों के सहयोग से चीन के खिलाफ शक्ति संतुलन बनाने का काम करेगा।” इसमें कहा गया है कि दस्तावेज में बताई गई नीति का लक्ष्य भारत के विकास एवं क्षमता को बढ़ाना है, ताकि वह बड़ा रक्षा साझेदार बन सके। इसका लक्ष्य भारत के साथ स्थायी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना है, जिसे क्षेत्र में अमेरिका और उसके साझेदारों के साथ प्रभावशाली गठजोड़ करने में सक्षम मजबूत भारतीय सेना आधार प्रदान करती है। इसमें रक्षा सहयोग के लिए मजबूत आधार बनाने और रक्षा क्षेत्र में व्यापार बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया है।

इस ‘फ्रेमवर्क’ में एक बड़े रक्षा साझेदार के तौर भारत का दर्जा बढ़ाने के लिए रक्षा तकनीक के हस्तांतरण की क्षमता को विस्तार देने, क्षेत्र में सुरक्षा संबंधी साझा चिंताओं पर सहयोग बढ़ाने और भारत की मौजूदगी हिंद महासागर से आगे बढ़ाने को प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव रखा गया है। दस्तावेज में परमाणु आपूर्ति समूह में भारत की सदस्यता को सहयोग देने की बात की गई है।

दस्तावेज में राजनयिक, सैन्य और खुफिया माध्यमों से भारत को सहयोग देने का प्रस्ताव रखा गया है ताकि चीन के साथ सीमा पर विवाद समेत महाद्वीप की चुनौतियों से निपटने में मदद मिल सके। इसमें भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति और अग्रणी वैश्विक शक्ति बनने की उसकी महत्कांक्षाओं को समर्थन देने का प्रस्ताव रखा गया है।