Shocking incident in Andhra Pradesh, during the sacrifice, instead of the goat, the neck of the man holding the animal was cut off
Representative Photo

Loading

वाशिंगटन: संघीय कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने अमेरिका (America) में अवैध तरीके से रहने के मामले में कुल 15 विद्यार्थियों (Students) को गिरफ्तार (Arrest) किया है, जिनमें से 11 भारत (India) के हैं। आव्रजन एवं सीमा शुल्क अधिकारियों ने इन विद्यार्थियों को बोस्टन, वाशिंगटन, ह्यूस्टन समेत कई अन्य शहरों से गिरफ्तार किया है और इनमें भारत के अलावा लीबिया के दो, सेनेगल का एक और बांग्लादेश का एक नागरिक है।

अधिकारियों के अनुसार इस विद्यार्थियों की गिरफ्तारी ऑप्टिकल इल्यूजन अभियान के तहत की गई है। इस अभियान के तहत वैसे गैरआव्रजक विद्यार्थियों को गिरफ्तार किया जाता है जो ऑप्टिकल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (Optical Practical Training) (ओपीटी) कार्यक्रम का इस्तेमाल करके अमेरिका में बने रहते हैं। इस कार्यक्रम के तहत गैर आव्रजक विद्यार्थियों को एक साल तक उनके शिक्षा से जुड़े क्षेत्र में काम करने की अनुमति दी जाती है।

वहीं उन्हें इस एक साल के अलावा 24 महीने तक देश में काम करने की अनुमति भी दी जाती है, बशर्ते विद्यार्थी एसटीईएम (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथमेटिक्स) वैकल्पिक प्रैक्टिकल प्रशिक्षण में हिस्सा लें। आईसीई ने कहा कि ये छात्र वैसी कंपनियों में काम करने का दावा कर रहे थे, जो कंपनी वास्तव में हैं ही नहीं।

कैलिफोर्निया में एक भारतीय-अमेरिकी व्यक्ति को श्रम नियमों का उल्लंघन करने के मामले में 188 महीने जेल की सजा सुनाई गई है और तीन पीड़ितों को अदालत ने वेतन और अन्य नुकसान के लिए क्षतिपूर्ति के तौर पर 15,657 अमेरिकी डॉलर देने का आदेश दिया है। इस मामले में आरोपी सतीश कर्तन और उनकी पत्नी शर्मिष्ठा बराई को 11 दिन की सुनवाई के बाद 14 मार्च, 2019 को श्रम कानून के उल्लंघन का दोषी पाया गया।

बराई को दो अक्टूबर को 15 साल और आठ महीने की जेल की सजा सुनाई गई थी। दंपति ने अपने घर में काम कराने के लिए विदेश से कर्मियो की भर्ती की और उनसे 18-18 घंटे तक काम कराया और कुछ को ही थोड़ा बहुत मेहनताना भी मिला था।