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संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United States Security Council) ने वैश्विक शांति को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों में महिलाओं की समान भागीदारी की मांग करने वाले संयुक्त राष्ट्र के कदमों की 20वीं वर्षगांठ पर रूस (Russia) के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। प्रस्ताव का विरोध करने वालों ने कहा कि यह मसौदा प्रस्ताव मानवाधिकारों (Human Rights) और लैंगिक समानता (Gender Equality) को बढ़ावा देने में असफल रहा है।

प्रस्ताव पर ईमेल के जरिए मतदान हुआ, जिसमें पांच देशों ने इसका समर्थन किया और 10 देशों ने मतदान से स्वयं को दूर रखा। प्रस्ताव को पारित करने के लिए कम से कम नौ मतों की आवश्यकता थी।

रूस के प्रस्ताव को रूस, चीन, वियतनाम, इंडोनेशिया और दक्षिण अफ्रीका ने समर्थन दिया, जबकि अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, बेल्जियम, डोमिनिकन गणराज्य, जर्मनी, एस्टोनिया, नाइजर, सेंट विंसेंट एंड ग्रेनेडाइंस और ट्यूनीशिया ने मतदान में भाग नहीं लिया। प्रस्ताव के विरोधियों ने कहा कि रूसी मसौदे ने 2000 में पारित शुरुआती संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव और इसके बाद पारित नौ प्रस्तावों को कमजोर किया, लेकिन रूस ने इस बात से इनकार किया है।

संयुक्त राष्ट्र में जर्मनी के राजदूत क्रिस्टोफ हेयुस्गेन ने कहा कि उन्होंने सभी प्रस्तावों में मानवाधिकारों को लेकर कड़ी भाषा और कदमों को लागू करने में ‘‘नागरिक समाज, शांति निर्माण करने वाली महिलाओं और मानवाधिकार रक्षकों की अहम भूमिका को पर्याप्त तरीके से प्रतिबिम्बित किए” जाने की अपील की थी, लेकिन रूसी मसौदा ऐसा करने में नाकाम रहा।

उन्होंने कहा कि ‘‘और अधिक शब्दों” की नहीं, अपितु ‘‘क्रियान्वयन” की आवश्यकता है। अमेरिकी राजदूत केली क्राफ्ट ने कहा कि मतदान से दूर रहा ट्रंप प्रशासन और अन्य देश महिला, शांति एवं सुरक्षा के एजेंडे की रूस और चीन के हमले से रक्षा कर रहा था। उन्होंने कहा कि यह मसौदा प्रस्ताव ‘‘पिछले 20 साल में हुई प्रगति को कमजोर करने और पलटने के लिए तैयार किया गया था। संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत वैसिली नेबेनजिया ने इन दावों को खारिज किया कि यह प्रस्ताव पीछे की ओर एक कदम था।